आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी!बहुत मार्मिक प्रस्तुति!
प्रायश्चित कर आत्मग्लानी से मुक्त हुआ ही जा सकता है| बहुत अच्छी, संदेशप्रद रचना कही है आदरणीया अर्चना त्रिपाठी ही, जिस हेतु सादर बधाई स्वीकार करें|
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