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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
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आ० भाई सौरभ जी , इस उपलब्धि के लिए कोटि कोटि बधाई. यह मेरी कमनसीबी है की इस सुखद समाचार  से मैं देर से रूबरू हुआ .

आ० भाई सौरभ जी , इस उपलब्धि के लिए कोटि कोटि बधाई. यह मेरी कमनसीबी है की इस सुखद समाचार  से मैं देर से रूबरू हुआ .

दिल से बधाई आदरणीय सौरभ जी।

आपकी शुभकामनाओं के लिए हृदयतल से धन्यवाद, आदरणीया राजेश कुमारीजी. 

सादर

परम आदरणीय सौरभ जी
हार्दिक अभिनन्दन सहित ढेरों बधाई एवं अशेष शुभकामनायें

आदरणीय सत्यनारायणभाई, आपकी शुभकामनाओं से आप्लावित हूँ .

सादर

आदरणीय सौरभ जी बहुत बुहुत बधाई इस उपलब्धि पर

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, हार्दिक धन्यवाद 

आदरणीय सौरभ जी, साहित्य-सर्जन-शिखर सम्मान से आपके अलंकृत होने का समाचार कितना सुखद और ओबीओ के लिए कितना गौरवप्रद है यह तो सभी की प्रतिक्रिया से स्पष्ट है. आपकी यह उपलब्धि इस मंच के लिए आने वाले उज्ज्वल भविष्य का सूचक है. अपनी अपार कर्मव्यस्तता के साथ साहित्य-सेवा के लिए निरंतर समय निकालना कितना दुष्कर है यह उन्हीं को मालूम है जो इस चेष्टा में रत हैं. इस सम्मान से आपकी साहित्यिक प्रतिभा को जो स्वीकृति मिली है उससे परे उन साहित्य प्रेमियों को प्रेरणा मिलती है जो साहित्य मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पाने की लालसा से मंदिर के चौखट पर माथा टेक सकने का अवसर मिलने पर ही धन्य हो जाते हैं. आप इसी तरह रचना संसार में "सौरभ" बिखेरते रहें,ओबीओ के साथ हम सभी को गौरव और प्रेरणा मिलती रहे...जीवन के कठिन क्षणों में भी कैसे जीवन जिया जाता है- युवा रचनाकारों को दिशानिर्देश मिलता रहे. व्यक्तिगत रूप से मेरी और कुंती जी की ओर से अशेष अभिनन्दन. सादर.

आदरणीय शरदिन्दु जी, 

आपकी सदाशयता से मन-प्राण पुलकित है. अपने हृदयतल की भावनाओं को जिस आत्मीयता से आपने साझा किया है, वह मेरे लिए सदैव उत्प्रेरक का कार्य करेंगे. आदरणीय, इस पटल के सभी सक्रिय, संवेदनशील, अभ्यासी सदस्य मुझसे भी अधिक मेहनत कर रहे हैं. यह इस पटल ओबीओ से मिला मार्गदर्शन ही है कि हम आज साहित्य-जगत के परिसर में स्वीकार्य हो रहे हैं ! वह भी बिना किसी तथाकथित ’वाद’ को अंगीकार किये ! यही अपनी ताकत भी है.

आपको तथा आदरणीया कुन्तीजी को मेरी ओर से सादर धन्यवाद प्रेषित है. आप दोनों का स्नेह और सान्निध्य अनवरत बना रहे. 

सादर

आदरणीय उमेश कटारा जी,

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

आदरणीय मदनलाल श्रीमाली जी, 

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