For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है

रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है

न छोडूंगा मुहब्बत की डगर तै कर लिया है

 

ज़माना भी खड़ा है हाथ में शमशीरें लेकर

मैंने भी सरफरोशी का इधर तै कर लिया है

 

गुज़ारिश है रुको कुछ देर तन्हाई मिटादो

चले जाओ कि जाने का अगर तै कर लिया है

 

उदासी  की फटी चिलमन हटाकर फैंक दूंगा

जिऊँगा अब तबस्सुम  ओढ़कर तै कर लिया है

 

हवाओं सब चरागों को बुझादो ग़म नहीं कुछ

अँधेरे में जलाऊंगा जिगर तै कर लिया है

 

खड़ा बाज़ार में तन्हा कबीरा एक युग से

अदीबों फूंक दूंगा आज घर तै कर लिया है

 

हक़ीक़त के बियाबाँ में न भटकूंगा अकेला

बसाऊंगा तसव्वुर का नगर तै कर लिया है

 

मुखालिफ़ मैं रहूँगा ज़ुल्म का हरदम अज़ीज़ों

हरावल में रहूँगा पेशतर तै कर लिया है

 

करूँगा रोशनी ‘खुरशीद’ बनकर शाम तक तो

जलूँगा शमा’ बनकर रात भर तै कर लिया है

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 447

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on November 10, 2014 at 1:59pm

आदरणीय अजय शरमा साहब ,गणेश जी बागी साहब ,जितेंदर जी ,गोपालनारायण साहब लडीवाला जी ,उमेश जी ,विजयशंकर साहब ,एवं आदरणीय योगराज जी आप सभी गुणीजनों का ह्रदय से आभारी हूं |आप सभी का स्नेह अनमोल है |आशीर्वाद बनाये रखियेगा |सादर 

Comment by ajay sharma on November 7, 2014 at 10:38pm
हक़ीक़त के बियाबाँ में न भटकूंगा अकेला
बसाऊंगा तसव्वुर का नगर तै कर लिया है
wah wah sher ///////////////////sabhi sher umda huye hai.n

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 6, 2014 at 11:38am

//मैंने भी सरफरोशी का इधर तै कर लिया है//

यह मिसरा मुझे उलझता महसूस हो रहा है।

बाकी सभी अशआर खूबसूरत लगें, बधाई इस ग़ज़ल की प्रस्तुति पर।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 6, 2014 at 8:26am

बेहतरीन गजल, आदरणीय खुर्शीद साहब

गुज़ारिश है रुको कुछ देर तन्हाई मिटादो

चले जाओ कि जाने का अगर तै कर लिया है.....इस शेर पर आपको विशेष बधाई

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 5, 2014 at 4:37pm

वह ----- वह ------वाह

जवाब नहीं  i क्या खूबसूरत गजल है  i किस शेर की तारीफ करू i सभी सवा शेर है i  बधाई हो i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 5, 2014 at 11:45am

रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है

न छोडूंगा मुहब्बत की डगर तै कर लिया है  - वाह ! बहुत खूब होंसला और जज्बा कमाल का | तै कर लिया है का सुंदर निर्वाह हुआ है हर एक अश;आर में | हार्दिक बधाई आ, खुर्शीद खैराडी जी 

Comment by umesh katara on November 5, 2014 at 9:03am

हरिक शेर लाजबाब है बधाई सर

वाहहहहहहहहहहह

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 5, 2014 at 1:03am

हवाओं सब चरागों को बुझादो ग़म नहीं कुछ
अँधेरे में जलाऊंगा जिगर तै कर लिया है
दम है ग़ज़ल में, आकर्षण भी , आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी बधाई।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 3:05pm

बहुत आला कलम आ० खुर्शीद खैराड़ी साहिब, बहुत अलग सी रदीफ़ चुनी लेकिन उसको बड़ी उम्दगी से निभाया भी। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service