For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल : वो कहानी है नहीं.

हट गया तूफ़ान जुल्मत वो कहानी है नहीं.

हो गये आज़ाद हम सब अब गुलामी है नहीं.

फूट के कारण हमेशा लुट रहा हिन्दोस्तां,

बँट गए टुकड़े अलहदा एकनामी है नहीं.

ये मुसल्माँ वो है हिन्दू धर्म ये किसने गढ़े,

भेद इंसानों में करते धूप पानी है नहीं.

स्वर्ण पंछी देश था ये जानता सारा जहाँ,

आज वो वैभव पुनः पाने की ठानी है नहीं.

मुल्क को नीलाम करते देश के गद्दार ये,

कोई नेता देश सेवक खेजमानी है नहीं.

 **हरिवल्लभ शर्मा 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harivallabh sharma on October 16, 2014 at 7:29pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब उत्साहित करती आपकी टीप का हार्दिक स्वागत..हार्दिक आभार .स्नेह बनाये रखें,सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 16, 2014 at 7:07pm

यकीनन अब मानीखेज नेता न रहे i सुन्दर i सादर i

Comment by harivallabh sharma on October 16, 2014 at 1:03pm

आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका.

Comment by harivallabh sharma on October 16, 2014 at 1:01pm

आदरणीय somesh kumar जी हार्दिक आभार आपका, उत्साहवर्धन कर अनुग्रहीत किया .स्नेह बनाये रखें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 16, 2014 at 8:05am

बहुत ही सुंदर गजल, आदरणीय हरिबल्लभ जी. दिली बधाइयाँ आपको

Comment by somesh kumar on October 15, 2014 at 10:59pm

सुंदर एवं दिलकश रचना 

Comment by harivallabh sharma on October 15, 2014 at 8:39pm

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी उत्साहित करती हुयी आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत एवं हार्दिक आभार आपका.

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 8:02pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल बनी है आदरणीय हरी वल्लभ शर्मा जी , बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
19 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service