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"आये कोई जगाये मुझे"

आये कोई जगाये मुझे।
ज़िन्दा भी हूँ बताये मुझे।।1

हँसना मानों भूल गया हूँ।
आये कोई रुलाये मुझे।।2

उसे कभी भूल न पाउँगा।
उससे कहो भुलाये मुझे।।3

हमारे बीच कुछ बाकी हो।
नफ़रत हो गर जताये मुझे।।4

गर मैं एकलौता चिराग हूँ।
धुंध में कहीं जलाये मुझे।।5

वादा ना रोने का हो तो।
आये फिर गले लगाये मुझे।।6
*************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 629

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2014 at 11:13pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय मिश्र जी।
सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2014 at 11:11pm
बहुत आभार आपका आदरणीय विजय जी।। सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2014 at 11:10pm
जीतेन्द्र भाई बहुत आभार आपका।। सादर
Comment by vijay nikore on September 27, 2014 at 1:46pm

अति सुन्दर। बधाई।

Comment by विजय मिश्र on September 26, 2014 at 5:26pm
वाह राम शिरोमणिजी , सुंदर ,बधाई
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 25, 2014 at 10:40pm

सुंदर गजल कही. सभी शे र बहुत पसंद आये. बधाई आदरणीय राम भाई

Comment by ram shiromani pathak on September 25, 2014 at 7:59pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय आशुतोष जी।। सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 25, 2014 at 7:57pm
बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।। सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:37pm

आदरणीय इस शानदार ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2014 at 6:59pm

गर मैं एकलौता चिराग हूँ।
धुंध में कहीं जलाये मुझे।।5----क्या बात 

वादा ना रोने का हो तो।
आये फिर गले लगाये मुझे।।6---बहुत सुन्दर 

बहुत- बहुत बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर 

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