For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर खुशी तुमसे पिता //गजल// कल्पना रामानी

घर-चमन में झिलमिलाती, रोशनी तुमसे पिता

ज़िंदगी में हमने पाई, हर खुशी तुमसे पिता

 

छत्र-छाया में तुम्हारी, हम पले, खेले, बढ़े

इस अँगन में प्रेम की, गंगा बही तुमसे पिता

 

गर्व से चलना सिखाया, तुमने उँगली थामकर 

ज़िंदगी पल-पल पुलक से, है भरी तुमसे पिता

 

 याद हैं बचपन की बातें, जागती रातें मृदुल

ज्ञान की हर बात जब, हमने सुनी तुमसे पिता

 

प्रेरणा भयमुक्त जीवन की, सदा हमको मिली

नित नया उत्साह भरती, हर घड़ी तुमसे पिता

 

हाथ माथे है तुम्हारा, हम बड़े हैं खुशनसीब

घर-गृहस्थी में घुली है, माधुरी तुमसे पिता  

 

हर बला से दूर रखता, बल तुम्हारा ही हमें     

‘कल्पना’ जग में सुरक्षा, है मिली तुमसे पिता

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 774

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on September 26, 2014 at 6:52pm

आ॰ श्याम नरेन जी, आ॰ गोपाल नारायणजी,  आ॰सलीम  शेखजी,आ॰सुलभ जी, आ॰हरिवल्लभ जी,आ॰जितेंद्र जी, आ॰खुर्शीद जी, आ॰लक्षमण धामी जी, आ॰नीरज जी, आप सबका रचना की सराहना द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार।

Comment by Neeraj Neer on September 17, 2014 at 8:49pm

गर्व से चलना सिखाया, तुमने उँगली थामकर
ज़िंदगी पल-पल पुलक से, है भरी तुमसे पिता

हाथ माथे है तुम्हारा, हम बड़े हैं खुशनसीब

घर-गृहस्थी में घुली है, माधुरी तुमसे पिता  ... हर शेर लाजवाब ॥ बहुत भावपूर्ण ॥ बहुत बधाई । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 11:13am

आदरणीय कल्पना दीदी , पिता को समर्पित इस बेहतरीन  ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by khursheed khairadi on September 17, 2014 at 9:30am

याद हैं बचपन की बातें, जागती रातें मृदुल

ज्ञान की हर बात जब, हमने सुनी तुमसे पिता

आदरणीय कल्पना जी हार्दिक बधाई ,पिता रदीफ़ के साथ मैं यह पहली ग़ज़ल सुन रहा हूं |मेरी इच्छा है कि मैं ऐसी ही कुछ भावनाएं अपने श्रद्धय को अर्पित कर पाऊं |सादर अभिनन्दन 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 16, 2014 at 9:00pm

माता-पिता का स्थान तो सबसे सर्वोपरि होता है,बहुत सुंदर गजल कही है आपने आदरणीया कल्पना जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by harivallabh sharma on September 16, 2014 at 5:05pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल ..पिता का महत्व पूर्ण स्थान मिला तो है ..पर आपने पित्र पक्ष में साहित्यक श्रद्धांजलि से नवाजा ..बधाई आदरणीया. 

Comment by Sulabh Agnihotri on September 16, 2014 at 3:41pm

सुन्दर-सार्थक अभिव्यक्ति

Comment by saalim sheikh on September 16, 2014 at 1:48pm

एक उपेक्षित विषय पर सुन्दर अभिव्यक्ति  ढेरों बधाई स्वीकारें 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 16, 2014 at 12:36pm

महनीया

माँ की महिमा तो लोग प्रायः गाते हैं i पर पिता प्रायः उपेक्षित रह जाते है i जबकि मानव जीवन में उनकी भूमिका कमतर नहीं होती i आप की रचना से मुझे बड़ी आश्वस्ति  मिली क्योंकि मेरा पालन -पोषण मेरे तपोमूर्त्ति  पिता ने ही किया है i सादर i

Comment by Shyam Narain Verma on September 16, 2014 at 9:50am
इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको .................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service