For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्‍या है प्रेम, अखंड गहमरी

क्‍या है प्रेम,
पूछते रह गये।
क्‍या हैं प्रेम,
सोचते रहे गये।
क्‍या है ,परिभाषा प्रेम की,
 खोजते रह गये।
ना मिली थी, ना मिलेगी,
परिभाषा प्रेम की।
प्रेम तो बस शायद नाम है,
ऑंखो मे बस जाने का,
दिल में सम्‍मान का,
हमारे समर्पण का,
त्‍याग अंहकार का,
बलिदान स्‍वार्थ का ,
मन में चाहत का,
नेह लगाने का,
हमें तो लगता यही है प्रेम,
हो सकता है यहीं हो प्रेम,
यही हो प्रेम की परिभाषा,
जिसकी तलाश में ,
भटक रहा अखंड है।
भटक रहा अखंड है।
मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमरी की प्रस्‍तुति
 

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on November 15, 2013 at 9:48am

आप सभी को हमारा उत्‍साहवर्धन हेतु सादर प्रणाम


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 15, 2013 at 9:30am

प्रेंम को परिभाषित करती इस रचना के लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by Abhinav Arun on November 14, 2013 at 7:30pm

ह्रदय की पवित्र भावना के नए फलक दर्शाती रचना के लिए बधाई आदरणीय और आप हमारे जनपद के हैं इसलिए स्वागत भी , अभिनन्दन भी !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 14, 2013 at 11:48am

सुन्दर प्रेम पगी रचना आदरणीय प्रेम को सुन्दरता से दर्शाया है आपने बधाई स्वीकारें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 14, 2013 at 11:32am

sunder rachna hetu haardik badhaay ee sadar 

Comment by Sushil.Joshi on November 14, 2013 at 5:18am

प्रेम को परिभाषित करती इस सुंदर रचना हेतु बधाई आ0 गहमरी जी...

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 13, 2013 at 10:40pm

हाँ  बंधू

यद्यपि  प्रेम  अनिवर्चनीय है  पर अनादि  काल से हम उसे अपने अपने अनुभव या ज्ञान के आधार पर परिभाषित करते आये है

आपकी रचना में गाम्भीर्य है  साधुवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी बहुत शुक्रिया आपका, जी ज़रूर कोशिश करती हूँ सादर"
2 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय नीलेश जी बहुत शुक्रिया आपका, बेहतर है सुझाव आभार आपका सादर"
3 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमित जी बहुत शुक्रिया आपका, बेहतर सुझाव के लिए भी आभार आपका,सुधार करती हूँ सादर"
4 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर नज़र ए क़रम व महत्वपूर्ण इस्लाह करने के लिए वैसे मतला का का भाव ये लिया…"
6 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"प्यार में दर्द था दवा भी थीथी वफादार बेवफा भी थी - प्यार से दिल चुरा लिया मेराक्या कहूँ वो बहुत…"
9 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . संबंध

दोहा सप्तक. . . . संबंधपति-पत्नी के मध्य क्यों ,बढ़ने लगे तलाक ।थोड़े से टकराव में, रिश्ते होते खाक…See More
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service