बात एक रात की,
मैं था सोया
मीठे सपनो में खोया
तभी सपनो में आयी
एक सुन्दर नारी
दमकता चेहरा पर उदास
उज्जवल वस्त्र पर गंदे
कीचड में सने
मैं इर कर कॉंप उठा
हमें डरते देख
वो बोली
डरते क्यों हो
हमें नहीं पहचाना
मैं हॅू तुम्हारी गंगा
वही गंगा जिसे तुम मॉं कहते हो
पापो को धुलने वाली गंगा
सभ्यता और संस्कृति
प्रदान करने वाली गंगा
देहवासन पर मोक्ष
देने वाली गंगा
वहीं गंगा जो
तुम्हारे पूरखो को तारने
धरती पर आयी
पर आज क्या है मेरा वजूद
मिटने के कागार पर हूँ
स्वार्थ में अँन्धे होकर
क्या हाल बना दिया है
गंगोत्री से गंगासागर तक
खाती रही पत्थरों की ठोकर
कंकड; चुभते रहे मेरे बदन पर
मैं चुपचाप सब सहती रही
निस्वार्थ सेवा करती रही
ऑंखो में ऑंसू थाम कर वोली
क्या यही था मेरा कसूर
आज मैं इतनी मैली और गंदी क्यो
मेरा नीर जो मेरी पहचान था
कहाँ गया,क्यो गया,कैसे गया
कहॅां गई वह
पवित्र,पावन, निर्मल गंगा
अविरल प्रवाहिनी गंगा
हे मानव अब बस करो
रहम करो,
बहुत राजनीति किये मेरे नाम पर
खा गये करोडों मेरे नाम पर
फिर भी नही मिटी तुम्हारी भूख
बंद करो अपना ये
घिनौना खेल तुम
नहीं तो मिट जायेगी
तुम्हारी ये गंगा
खत्म हो जायेगी
गंगा पर आधारित
तुम्हारी सभ्यता और संस्क़ति
गंगा बन जायगी अखंड
इतिहास के पन्नो की नई कहानी
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
akhand ji ..is sunder rachna par meri taraf se haardik badhaaayee sweekarein
सुन्दर रचना !
बहुत बढ़िया आदरणीय अखंडजी बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online