For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर वन्दे.

 

ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 31 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. पिछले 30 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने 30 विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है.

इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 31

विषय "मद्यपान निषेध "

आयोजन की अवधि-  शुक्रवार 10 मई 2013 से रविवार 12 मई 2013 तक

इस बार के महोत्सव का शीर्षक है मद्यपान निषेध, मकसद है इसके प्रति आम लोगों में जागरुकता पैदा करना । शराब के प्रभाव के कारण परिवारों की चैन और शांति पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है । वर्तमान परिस्थितियों में सरकार यदि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने और समाज में शांति अमन चैन लाने के प्रति गंभीर है तो उसे राज्यों में शराब और खुले आम मद्यपान पर प्रतिबंध लगाना चाहिए ।
राजस्व लाभ की मरीचिका का श्राप ने इस तरीके सरकारों को उलझा रखा है कि आसन्न समस्याओं के मुँह बाये दीखते रहने के बावज़ूद सरकारें ठोस या उचित कदम तक नहीं उठा पातीं ।
 
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति |
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए । आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं । साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं ।


उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक

शास्त्रीय-छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)

अति आवश्यक सूचना : ओबीओ लाईव महा-उत्सव के 31 में सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में तीन । नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी ।

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 10 मई दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा ) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


महा उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 17946

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

अरे गणेश जी ये तो प्रस्ताव है....... ऐसा  कुछ किया जा सकता है एक कुण्डलिया के साथ एक  ''हाइकू फ्री'' कुछ दिन रखिये promotional स्कीम की तरह  ..........फिर घलुआ कुण्डलिया बना  कर महँगा  बेचिए .......लीजिये  बस आप हो गए न इन्वेन्टर (पेटेंट ज़रूर करवा लीजियेगा) 

ये क्या हो रहा है ?

दुमदार दोहे तो सुना है और पढ़ा भी है. उसमें दोहे के बाद एक लकीर मारी जाती है. जो दोहे की पूरक होती है.  लेकिन ये घेलुआ कुण्डलिया होती कैसी हैं ?

पूछ रहा हूँ..  जबकि एक तथाकथित कुण्डली को उदाहरण की तरह प्रस्तुत करवाया जा रहा है. 

हमारी ओर घेलुआ या घलुआ बड़ी वस्तु को मोल लेने के समय सहज उपलब्ध या प्राप्य किसी बिना मोल या साधारण मोल की वस्तु को कहते हैं. इसी संदर्भ मेंघेलुआ कुण्डलिया दखने का प्रयास कर रहा हूँ.

 वाह वाह आदरणीय, महोत्सव का विषय मद्यपान निशेष, मद्यपान की सलाह तो बागी ही दे सकते है |

 पर इसके जिरये जोरदार कुंडलिया प्रस्तुत हुई है, और सापेक्ष भाव वाले गहराई से समझ मदिरा को हाथ नहीं

 लगायेंगे, वर्ना अल्पायु हो जायेंगे |  हार्दिक बधाई साथ में एक हाइकु उपलब्ध कराने हेतु भी धन्यवाद आदरणीय  

कुंडलिया और हाइकू दोनों ही सुन्दर बने हैं बने हैं भाई गणेश बागी जी, बधाई स्वीकारें.

हा, हा,  हा...

बहुत देर बाद बात समझ में आई. पहले तो लगा कि छः पंक्तियों वाली  इस सभा में फिफ्टी परसेंट पक्ष और फिफ्टी परसेंट विपक्ष बैठा है.हाइकू की त्रिपंक्तियों पर प्रथम तीन पंक्तियाँ समर्थन में हाथ उठा रही हैं और नीचे की तीन पंक्तियाँ विरोध में उठ खड़ी हैं. ट्यूब-लाइटवा देर से जली. सच बात है कि जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं.

इस उम्दा प्रस्तुति पर मेरी दिली बधाईयाँ आदरणीय बागी जी............

आदरणीय बागी जी सादर,

जो सेवन इसका करे, रहता सदा जवान,

रहता सदा जवानबुढ़ापा पास  आये,

उम्र हाथ में अल्प, उसे यमराज बुलाये,

बहुत खूब

हार्दिक बधाई.

मद्य-निषेध

लिखना है आलेख 

लाओ दो पैग

ओ त्तेरीऽऽऽऽ  !... ये हाइकू भी था साथ में ? ... ये तो मुझे अभी दिखा !! .. .. तभी घेलुआ घेलुआ हो रहा था..

का हो गनेसीऽऽऽऽऽऽऽऽ ????

 :-((((((((((

// 1 //
कुण्डलियां

मदिरा ऐसी चीज है, तुरतै आपा खोय।
जन्मो का सुकर्म जले, धर्म हीन तब होय।।
धर्म हीन तब होय, लजाय कुटुम्ब कबीला।
बच्चे बहु शरमाय, मन नहीं धरैं रूबीला।।
घर-घरनी भरमाय, झगड़ा करे बन बधिरा।
आंखें ही खुल जाय, जान जब लेती मदिरा।।
..................................................


// 2 //
किरीट सवैया-211,211,211,211, 211,211,211,211

नाहक नाम नशा बदनामहि, शाम शमा सम रोशन जानहि।
काम करे अति खूब सतावहि, मान समान थकान मिटावहि।।
मानत है नहि बात मनावहि, मादकता अधिकाय लजावहि।
सुन्दर रूप लगे अतिपावन, पांय पखार पिए जन राजहि।।1

मादक तत्व असत्य सुभावत, लाज हया नहि काम लुभावत।
नीच कुलीन सुप्रीत लुकावत, रास विहास रसे अस सांवत।।
आफिस हाट समाज दुरावत, लोक सुलोक जरे नहि पावत।
नालिय के कर कीट बुलावत, दोष बलाय शराब कहावत।।2


के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर, कुण्डलिया छंद बहुत सुन्दर बना है, अंतिम पद के भाव मोहित कर रहे हैं. सवैया के भाव भी बहुत सुन्दर हैं शब्द चयन पर गुरुदेव  आदरणीय सौरभ जी के सुझाव पर अमल करें अवश्य ही छंद में और निखार आयेगा. सादर बधाई स्वीकारें.

आ0 रक्ताले सर जी,  आपका स्नेह और अशीष सदैव ही पथ को रोशन करता है।  तहेदिल से आभार।   सादर,

मदिरा ऐसी चीज है, तुरतै आपा खोय।

क्या मदिरा स्वयं आपा खो देती है ? या, इसे पीने वालों के आपा खोने का कारण बनती है ? इस पद के दूसरे चरण में असहजता है.

जन्मो का सुकर्म जले, धर्म हीन तब होय

धर्म हीन तब होय, लजाय कुटुम्ब कबीला

वाह वाह सही बात.  सुकर्म का जलना प्रभावित कर रहा है, केवल प्रसाद जी. यह बात भी एकदम सही साझा किया है कि बेलिहाज़ पीने वालों के कुटुम्ब की मानसिक, सामाजिक स्थितियाँ बहुत ही हास्यास्पद हो कर रह जाती हैं. सारा परिवार ही जैसे ’बेचारे लोग’ की श्रेणी में गिना जाने लगत है.

बच्चे बहु शरमाय, मन नहीं धरैं रूबीला

वाह वाह ! बच्चों की हालत तो और भी दयनीय हो जाती है. मुझे ऐसे एक सज्जन से परिचय था. उनके बच्चे जो तब मेरे मित्र-मण्डली में थे, हमेशा ही हीनता ग्रंथि के प्रभाव में रहा करते थे. शाम में खेलते वक़्त कहीं सज्जन लड़खड़ाते जाते दिख जाते तो उनके बच्चों के चेहरे का रंग ! ओह, आज भी भूले नहीं भूलता. 


घर-घरनी भरमाय, झगड़ा करे बन बधिरा..

सही बात. गृहिणी की तो पूछिये ही मत. बहुत सही दशा का बयान हुआ है. लेकिन शिल्प की दृष्ति से दूसरा चरण शब्दों में थोड़ा फेरबदल मांगता है. झगड़ा करे बन बधिरा   को करे झगड़ा बन बधिरा किया जाना चाहिये.  वैसे यह बधिरा होता क्या है ? यदि पंक्तियों में आंचलिक शब्द प्रयुक्त किये गये हों तो उनका अर्थ दे देने से पाठकों पर बहुत बड़ा उपकार होता है. वर्ना वैसी पंक्तियाँ पाठकों के धैर्य की, शब्द-ज्ञान की, समझ की मानों परीक्षा लेती प्रतीत होती हैं.


आंखें ही खुल जाय, जान जब लेती मदिरा।।

बहुत बड़ा सत्य है यह. लेकिन आँखें ुलती हैं उस परिवार की. समाज की आँखें कखुलेंगीं यह एक विचारणीय प्रश्न ही है.

पहला सवैया कुछ हास्य के छींटे मारता हुआ है. लेकिन कथ्य उभर कर नहीं आ पाया है. और प्रयास करें. पहले सवैये के तीसरे पद में मादकता अधिकाय  वाला वाक्यांश कनक-कनक ते सौ गुनी वाले दोहे की याद करा रहा है.

दूसरे सवैया में भी स्थिति पहले सवैये से बहुत अलग नहीं है.

जरे नहीं पावत   का मतलब कुछ स्पष्ट हीं हुआ. हमारे इधर जरे (पास) नहीं आवत (नहीं आना) कहा जा सकता है. इसी रह सांवत का अर्थ क्या हुआ ? का भइया, आपो कुल्हि का का लिखत-बोलत रहत हो ?? .. :-)))))

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
5 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
10 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service