For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे प्रभु ! मेरी स्वप्न  सुंदरी 

अब तो यथार्थ बन आ जाये 

उसको पाकर जीवन मे मेरा 

मन हर्षित, पुलकित हो जाए 

 

स्वेत वर्ण और केश स्वर्ण हो,

जो देखे चकरा जाये |

सुंदर, कोमल, मधुर, कर्णप्रिय

बोले तो मन भा जाये |

 

चले चाल सावन मयूर सी,

बल खा के इतरा जाये |

नयन मृगी से चक्षु हो दोनो,

मदिरा सा रस छलकाए  |

खिले फूल, फुलवारी आँगन, 

हल्का सा जो मुस्काए |

 

केश ढापते मुख को, जैसे

मेघ चन्द्र पे छा जाये |

फिर संवार उनको शर्माती,

जैसे कोई कली चटक जाये |

 

कर श्रृंगार जैसे वो निकले,

लगे कोई दुल्हन आये |

हृदय की वाणी चक्षु बोलते,

शीतलता चन्दन छाए |

 

अंग अंग में रंग भरा हो,

इन्द्रधनुष भी पछताए |

माथे पर यू गोल बिन्दु सा,

सूरज दूर नजर आये |

 

कर लिहाज यूं चले वो , जैसे 

दंबे पाँव निंदिया आये |

ऐसा रूप हो सुंदर उसका 

कोई न उस सम हो पाये |

 

 

हे प्रभु ! मेरी स्वप्न सुंदरी, 

अब तो यथार्थ बन आ जाये | 

 

Views: 872

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on December 1, 2011 at 1:22pm

Waah Vikram ji ...bahut hi sundar bhaav abhivyakti :) aapki muraad poorn ho ,meri shubhkaamnaen :)

Comment by Vikram Srivastava on November 17, 2011 at 1:12pm

आदरणीय अंबरीश श्रीवास्तव जी.....धन्यवाद ...:)

 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on November 17, 2011 at 12:04pm

इस खूबसूरत रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई !

Comment by Vikram Srivastava on November 9, 2011 at 7:19pm

आदरणीय बागी जी एवं पूरे ओ बी ओ परिवार का बहुत बहुत शुक्रिया....स्वयं को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ.....इस सम्मान का हक़दार हूँ या नहीं पता नहीं पर अब बनाने का प्रयास करूँगा.......परीक्षा के कारण देर से उत्तर कर पाया हूँ अतः क्षमा चाहूँगा......एक बार फिर से बहुत बहुत धन्यवाद....:)

Comment by guddo dadi on November 6, 2011 at 4:00pm

सुंदर भावमयी रचना

शुभ कामनाएँ

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on November 6, 2011 at 10:41am

बड़ी खूबसूरत रचना बधाई इस सुन्दर रचना हेतु ..............!!!!

Comment by Abhinav Arun on November 5, 2011 at 1:39pm

बहुत सुन्दर शब्द चित्र खींचा है इस काव्य रचना में | भाव पूर्ण इस रचना के लिए  बहुत  बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on November 5, 2011 at 1:22pm

बहुत सुन्दर शब्द चित्र खींचा है इस काव्य रचना में | भाव पूर्ण इस रचना के लिए  बहुत  बधाई !!

Comment by Shanno Aggarwal on November 5, 2011 at 3:57am

बड़ी खूबसूरत रचना...

Comment by आशीष यादव on November 4, 2011 at 5:10pm

खुबसूरत ख्यालों की खुबसूरत रचना| चुनी  हुई उपमाएं अच्छे ढंग से रखी एवं सजाई गयी हैं| बधाई इस सुन्दर रचना हेतु|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service