For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(१)

जब आए - तो रस बरसाए

न आए - तो बड़ा सताए

कोई न ऐसा मनभावन 

ऐ सखी साजन?? न सखी सावन ।


(२)

मोरे पास - तो करे मगन

दूजे के संग - देत जलन 

न जग मे कोई वाके जैसा 

ऐ सखी साजन?? न सखी पैसा |

 

(३)

हमरे जीवन कै आधार

वो ही तो सगरा संसार

बड़ा सोच के रचिन रचैया 

ऐ सखी साजन?? न सखी मैया

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Prabhakar Pandey on November 30, 2011 at 4:11pm

सम्मानीय विद्वतजन,

(३)

हमरे जीवन कै आधार

वो ही तो सगरा संसार

बड़ा सोच के रचिन रचैया 

ऐ सखी साजन?? न सखी मैया...

 

इस मुकरी पर आई टिप्पणियों को पढ़ने के बाद मैं थोड़ा मतिभ्रम हो गया हूँ। क्योंकि मुझे लगता है कि ये मुकरी भी एकदम सार्थक और यथार्थ है।

सुधी पाठकजन, पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि मुकरी में जब कोई बात कही जाती है तो सामनेवाला उसका अर्थ कुछ और बताता है और फिर उसकी कही बात से मुकर कर कहनेवाला अलग शब्द बता देता है। इसमें तुलना की कोई बात नहीं।

यहाँ बात केवल (जो मुझे लगता है) इतनी सी है कि किसी प्रश्न का गलत उत्तर दिया जाए और फिर पूछनेवाला उसका सही उत्तर बता दे।

काफी चिंतन-मनन के बाद मुझे यह मुकरी एकदम यथार्थ लगती है---

क्योंकि साजन को जीवन का आधार कहा जाता है...इसमें कोई अत्युक्ति नहीं।

इसके साथ ही भारतीय संस्कृति में उसे सगरा संसार भी माना गया है। तो इस आधार पर सखी को साजन लगे तो????

मेरा यहाँ यह कहना है कि मुकरी में तुलना नहीं...जो शब्द सुझाए जाते हैं उनमें समाहित अर्थ मुकरी में बताए दोनों शब्दों को काफी हदतक लागू होते हैं।

सादर।।

 

Comment by वीनस केसरी on September 25, 2011 at 7:18pm

वाह विक्रम जी आपने भी बहुत सुन्दर कह मुकरियाँ कही

बधाई हो

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 25, 2011 at 12:46am

बहुत खूब भाई विक्रम जी ! तीनों मुकरियां रचने का बहुत अच्छा प्रयास किया है आपने ! बधाई मित्र ! मुकरी से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए कृपया भाई सौरभ जी का यह लिंक देखें ! http://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:153703

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2011 at 4:31pm

धन्यवाद सर जी ! :-)


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 24, 2011 at 4:23pm

वाह वाह बागी जी - बहुत सुन्दर सुझाव दिया है !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2011 at 4:12pm

विक्रम जी, बड़ी ख़ुशी की बात है कि कह कर मुकरने की कला को भी बड़े भाइयों कि सराहना मिल रही है :-))))) वैसे सच कहूँ तो आप भी मुकरने में माहिर दिख रहे है, तीसरा मुकरी को छोड़ बाकी शेष मुकरियां बहुत ही अच्छी बनी है, बहुत बहुत बधाई आपको, और हां ...यदि मुकरना ही है तो तीसरे को कुछ इस तरह मुकरे तो ..........

 

हमरे जीवन कै आधार

वो ही तो सगरा संसार

बड़ा सोच के रचिन रचैया 

ऐ सखी साजन?? न सखी कन्हैया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 23, 2011 at 8:24pm

//एक प्रश्न और मस्तिष्क मे उठता है की यदि मैया नहीं तो फिर कोई सा भी  और रिश्ता  साजन के समानान्तर  नहीं प्रयोग किया जान चाहिए |  तो यदि संबंध के बारे मे कह मुकरी कहनी हो तो किस प्रकार कहेंगे ???//

 

आप कृपया ओबीओ के आयोजनों में पोस्ट की हुई अभी तक की सभी सफल कह-मुकरियों या मुकरियों का मनोयोग से अध्ययन करें.  साथ ही, आदरणीय योगराजभाईसाहब द्वारा सद्यः-प्रकाशित (पोस्ट) पाँचों मुकरियों को ध्यान से देखें, आपको यथोचित उत्तर मिल जायेगा.

धन्यवाद.

Comment by Vikram Srivastava on September 23, 2011 at 7:49pm

आदरणीय सौरभ जी ...शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद ! 

जी मैया शब्द माँ के लिए ही प्रयुक्त हुआ है और आपके द्वारा इस संबंध मे उठाए गए प्रश्न मुझे भी उचित लगते हैं | मुझे इस विधा के संबंध मे अधिक ज्ञान नहीं है.....यह मेरी पहली 3 कह मुकरियाँ थीं अतः मैं  स्वयं को इस संबंध मे कुछ कहने के योग्य नहीं समझता...ओ बी ओ के अन्य सभी सुधि सदस्यों से अनुरोध है की इस विषय पर मेरा मार्गदर्शन करें......

एक प्रश्न और मस्तिष्क मे उठता है की यदि मैया नहीं तो फिर कोई सा भी  और रिश्ता  साजन के समानान्तर  नहीं प्रयोग किया जान चाहिए |

तो यदि संबंध के बारे मे कह मुकरी कहनी हो तो किस प्रकार कहेंगे ???

कृपया मार्गदर्शन करें!!!

 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 23, 2011 at 5:48pm

भाई विक्रम, सर्वप्रथम तो इन तीनों रचना-प्रयासों के लिये शुभकामनाएँ स्वीकारें.

बहुत सुन्दर प्रयास.

 

//हमरे जीवन कै आधार

वो ही तो सगरा संसार

बड़ा सोच के रचिन रचैया 

ऐ सखी साजन?? न सखी मैया//

यह मैया क्या माँ   है? यदि नहीं तो कृपया स्पष्ट करेंगे.  यदि हाँ तो मैं इस बंद से बहुत प्रभावित नहीं हुआ. 

मेरी समझ के अनुसार,  साजन  और माँ  एक दूसरे के मान्य समानान्तर नहीं हो सकते, न उनका एक दूसरे के प्रति संदर्भ लिया जाना चाहिये. 

 

Comment by Vikram Srivastava on September 23, 2011 at 3:52pm

आशीष जी आप का भी हार्दिक धन्यवाद....प्रेम बनाए रखें॥:)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
5 hours ago
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service