For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
विषय : उजाले की ओर
अवधि : 30-10-2024 से 31-10-2024 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, 10-15 शब्द की टिप्पणी को 3-4 पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सकें है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 113

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

अंतिम दीया
रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश में।' 
'नहीं।कभी नहीं।' बाती तपाक से बोली।
'कब तलक जलेगी? तेल तो खत्म हो चला।' अँधेरे ने चुटकी ली।
'प्राची के आने तक। स्नेहसनी हूँ।'
"मौलिक एवं अप्रकाशित"

आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। दीपोत्सव महापर्व पर तहेदिल बहुत-बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएं आप सभी परिवारजन और मित्रगण को हम सब की तरफ़ से ।

रोशनी की दस्तक - लघुकथा -

"अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे हैं।"

अम्मा की बेटी ने गुहार लगाई ।

अम्मा ने बाहर आकर देखा। शहर के विधायक जी अपनी बड़ी सी गाड़ी में से निकाल कर मिठाई और दिवाली के पॉकेट बाँट रहे थे। लोगों की कतार लगी हुई थी। अम्मा भी कतार में खड़ी हो गई। 

शोर सुन कर अम्मा का बेटा भी बाहर आ गया।

अम्मा, धूप में क्यों खड़ी हो? ये किस बात की कतार लगी है?”

"बेटा, ये नेताजी दीवाली की मिठाई देने आये हैं।

"मिठाई के साथ और क्या है?”

"शायद कुछ मोमबत्ती और फुलझड़ी हैं।

क्या ये सामान हमारे लिये अनिवार्य है?”

"कुछ दिन ये मोमबत्तियाँ झोंपड़ी में रोशनी करेंगी। हमारी लालटेन का तेल बचेगा।

"मगर हमने ये सामान माँगा था क्या?" हमारी आज की सबसे बड़ी आवश्यकता क्या है?”

"बेटा, इस समय सबसे बड़ी जरूरत तो तुम्हारी नौकरी की है।तेरे बापू के मरने के बाद घर चलाना मुश्किल हो गया है। 

"और उसका वादा एक साल पहले इन्हीं नेता जी ने किया था।अब क्या बोल रहे हैं?”

"कह रहे हैं कि कोशिश की जा रही है।

और ये कोशिश अगले चुनाव तक चलती रहेगी।

"और हम लोग कर भी क्या सकते हैं।

हम इस कतार से अलग तो हो सकते हैं।इन उपहारों का बहिष्कार तो कर सकते हैं । इनसे ये तो पूछ सकते हैं कि इनका बारहवीं पास बेटा सरकारी कारखाने का डाइरेक्टर कैसे बन गया।" 

अम्मा यह सुन कर कतार से बाहर निकल आई।

अम्मा की देखा देखी एक एक कर मुहल्ले के सभी लोग कतार छोड़ अपनी झोपड़ियों में जाने लगे।जिन लोगों ने पॉकेट ले लिये थे, वे लोग भी पॉकेट वापस नेता जी की गाड़ी में डाल दिये । 

नेता जी इस अप्रत्याशित परिवर्तन को देख अचंभित हो गये ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। मुझे ऐसा लगा कि कुछ संवाद सहज बोलचाल वाले शब्दों में या फिर स्थानीय/क्षेत्रीय बोली में लिखे जायें, तो रचना और अधिक आकर्षक और प्रभावशाली हो सकती है। जैसे //हमारी आज की सबसे बड़ी आवश्यकता क्या है?”// को किसी दूसरी शैली में लिखा कर।

चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) :


इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक ईश्वर और वनस्पति , कीड़े -मकोड़ों, जीव-जंतुओं आदि की प्रजा में से कुछ 'चिकित्सक' और 'शोधकर्ता' इंसानों के एक महापर्व पर आपस में विमर्श कर रहे थे। डॉक्टर पीपल और वैद्य नीम जी आपस में बतियाने लगे।


"तरह -तरह के आयोजनों और धार्मिक तीज-त्योहारों पर इंसान इतना स्वार्थी हो जाता है कि हमारे जगत की उसे चिंता ही नहीं रहती। पटाखों और आतिशबाजी और ध्वनि प्रदूषण से हमें दो-चार होना पड़ता है!" वृक्ष डॉक्टर पीपल जी ने कहा।


"मिट्टी की दीयों की परम्परा जैसे रीति -रिवाज़ों की बात ही कुछ और थी भाई!" वृक्ष वैद्य नीम जी बोले।


"हॉं, वे भी चिकित्सकीय, औषधीय काम किया करते हैं। इंसानों और हमारे लिए तो वे डॉक्टर दीपक हैं! पर कोई समझे, तब न, वैद्य जी!"


शोधकर्ता सूर्य महाराज ने उन दोनों की बातें सुनकर उनसे कहा, "इंसान भटक गया है भाइयों, लेकिन सही राह पकड़ने की कोशिश में भी है। वो सोलर एनर्जी तक के लाभ जानते हुए भी इसका सही और भरपूर उपयोग करना मुश्किल से सीख ही रहा है अभी। प्रकृति की दुनिया ही उसकी जीवन नैया को चलने देगी। माटी से माटी तक के सफ़र में इंसान मिट्टी की दीयों की अहमियत और कुदरती तोहफ़ों के रख-रखाव और इस्तेमाल को समझना फिर से सीख रहा है। वक़्त पलटी खायेगा... और इंसान सही दिशा की ओर चल पड़ेगा। भई, मेरा शोध तो यही कहता है!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service