For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-क्या करे कोई

221 2121 1221 212

1

हमसे शगुफ़्तगी की तमन्ना करे कोई 

अब और दर्द देने न आया करे कोई

2

आकर क़रीब इश्क़ जताया करे कोई

सच्चा नहीं तो झूठा ही वादा करे कोई

3

करवट बदलने से भी कहाँ नींद आएगी

जब आँख से ही ख़्वाब चुराया करे कोई

4

जो राज़ को भी राज़ बना कर न रख सके

उस आदमी से दोस्ती भी क्या करे कोई

5

आज़ाद फ़िक्र ए आशियाँ से हो चुके हैं हम

तूफ़ान अब हवा में न लाया करे कोई 

6

'निर्मल' बदल के देख ले जीने के रास्ते

ऐसा न हो तू बाद में शिकवा करे कोई 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 6, 2021 at 7:29pm

//दर पर ख़ुदा के अर्ज़-ए-तमन्ना करे कोई

अब और दर्द देने न आया करे कोई'//

ये ठीक है ।

Comment by Rachna Bhatia on March 6, 2021 at 4:16pm

आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार।सर् , कुछ इस तरह से मतला कहने की कोशिश की है। 

221 2121 1221 212

'दर पर ख़ुदा के अर्ज़-ए-तमन्ना करे कोई

अब और दर्द देने न आया करे कोई'

Comment by Rachna Bhatia on March 6, 2021 at 4:13pm

भाई लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर' जी आप सब मेरी मदद को आए। बहुत अच्छा लगा। बेहतरीन राय दी आपने। आभार।

Comment by Rachna Bhatia on March 6, 2021 at 4:11pm

आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'जी नमस्कार।आपकी राय भी बेहतर है। आभार।

Comment by Rachna Bhatia on March 6, 2021 at 3:57pm

आदरणीय आज़ी तमाम जी, नमस्कार।आपकी राय बहुत ख़ूब है।

आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 4, 2021 at 9:43pm

आ. भाई समर जी, आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ । सादर...

Comment by Samar kabeer on March 4, 2021 at 8:50pm

//भाई समर जी, मेरे हिसाब से मतला इस प्रकार करने से कुछ बात बन सकती है//

भाई,आपका सुझाव अच्छा है,लेकिनमैं चाहता हूँ कि रचना जी अपना मतला ख़ुद सुधारें ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 4, 2021 at 7:57pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। ग़ज़ल के मतले के लिए जनाब लक्ष्मण धामी जी के शे'र का ऊला और आज़ी तमाम साहिब के शे'र का सानी मिसरा ले लिया जाए तो उम्दा मतला खल्क़ हो सकता है-

''यूँ दूर से न मुझ को पुकारा करे कोई

आकर क़रीब इश्क़ जताया करे कोई"   सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2021 at 8:59pm

आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । 

आ. भाई समर जी, मेरे हिसाब से मतला इस प्रकार करने से कुछ बात बन सकती है-

यूँ दूर से न मुझ को पुकारा करे कोई
ख्वाबों में ही करीब तो आया करे कोई

Comment by Aazi Tamaam on March 3, 2021 at 6:16pm

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय रचना जी

गुस्ताखी माफ़ हो वैसे तो मैं अभी इस काबिल नही कि राय दे सकूँ फ़िर भी मेरे जहन में

ये जो आया आपसे साझा कर रहा हूँ अगर आपको उचित लगे तो मतले को कुछ यूँ कह सकते हैं

"दिल दूर दूर से ही न फेंका करे कोई

आकर करीब इश्क़ जताया करे कोई"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
5 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
42 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
46 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
56 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
57 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
57 minutes ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service