For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 1221 1221 122

.

आँखों मे छुपी अश्कों की जागीर का मतलब
समझेगी न ये दुनिया मेरी पीर का मतलब

चल मुझसे नहीं तुझको महब्बत ज़रा समझा
वो पर्स में तेरे मेरी तस्वीर का मतलब

जन्नत है कहीं गर तो यहीं पर है यहीं पर
क्या था कभी क्या आज है कश्मीर का मतलब

थे एक से बढ़ एक गुरु फिर भी न समझे
वो बीच सभा खिंचते हुए चीर का मतलब

इस जिस्म के हर हिस्से में बाँधे हूँ मैं ज़ेवर
कैसे मुझे मालूम हो जंजीर का मतलब

आशिक़ ये नयी पौध के क्या जानें है क्या इश्क़
राँझा है भला कौन है क्या हीर का मतलब

तू देख ले तो अच्छी न देखे तो बुरी है
बदले यूँ 'सिफ़र' के लिये तक़दीर का मतलब

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

अंजलि सिफ़र

Views: 875

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 21, 2020 at 6:25am

आ. अंजलि जी, गजल का प्रयास अच्छा हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 17, 2020 at 8:08pm

वाह क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीया...हरेक शे'र लाजबाब।

Comment by Rachna Bhatia on November 9, 2020 at 1:09pm

आदरणीया अंजलि गुप्ता जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई।सर् द्वारा दी गई इस्लाह से भी सीखने को मिला।रदीफ़ बहुत अच्छी ली आपने, बधाई।

Comment by narendrasinh chauhan on November 9, 2020 at 12:24pm

khub sundar rachna 

Comment by anjali gupta on November 9, 2020 at 12:23am

आदरणीय सालिक गणवीर जी, आपका दिली शुक्रिया

Comment by anjali gupta on November 9, 2020 at 12:21am

आदरणीय समर sir, 

sir वो शब्द की ज़रूरत महसूस हो रही।है ज़ोर डालने के लिए।

जन्नत है ज़मीं पर तो यहीं पर है यहीं पर

क्या यूँ कहने से बेहतरी हो रही है sir क्योंकि कश्मीर के लिए ही ये कहा जाता था कभी

/थे इक से बड़े एक गुरु फिर भी न समझे/ क्या ये बेहतर है

/बाँधे हूँ मैं ज़ेवर/ sir यहॉं बांधना जानबूझकर इस्तेमाल किया है क्योंकि जब मन से न पहना जाए तो ज़ेवर भी ज़ंजीर महसूस होता है और जबरन बाँधे जाने का एहसास होता है। ज़ंजीर में टंकण त्रुटि के लिए मुआफ़ी चाहती हूँ sir। ग़ज़ल को समय देने के लिए और मार्गदर्शन के लिए जितना आभार व्यक्त करूं कम है।

Comment by Samar kabeer on November 8, 2020 at 12:08pm

मुहतरमा अंजलि गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।


'वो पर्स में तेरे मेरी तस्वीर का मतलब'

इस मिसरे में 'वो' शब्द भर्ती का है, ग़ौर करें ।

'जन्नत है कहीं गर तो यहीं पर है यहीं पर
क्या था कभी क्या आज है कश्मीर का मतलब'

इस शैर के दोनों मिसरे अलग अलग हैं,इनमें रब्त पैदा नहीं हो सका,ग़ौर करें ।

'थे एक से बढ़ एक गुरु फिर भी न समझे'

इस मिसरे में 'एक से बढ़ एक' वाक्य दुरुस्त नहीं सहीह वाक्य है "एक से बढ़ कर एक' ग़ौर करें ।

'इस जिस्म के हर हिस्से में बाँधे हूँ मैं ज़ेवर
कैसे मुझे मालूम हो जंजीर का मतलब'

इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है, और ऊला में 'ज़ेवर' बाँधेनहीं जाते,ग़ौर करें,और सहीह शब्द "ज़ंजीर" है ।

Comment by सालिक गणवीर on November 6, 2020 at 10:08pm

मुहतरमा अंजलि गुप्ता जी
सादर अभिवादन
उम्दा क्या ग़ज़ल कही आपने,वाह। एक एक लफ्ज़ और हर एक अशआर के लिए तह -ए -दिल से दाद और मुबारक़बाद क़ुबूल करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
16 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service