For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बारिश पर चंद दोहे :

मेघ -मेघ में धड़कनें , बूँद- बूँद में प्यार।
हरी चुनरिया से हुआ, धरती का शृंगार।।१
 
बरस रही है प्रीत की , मेघों से बरसात।
साजन से सजनी कहे,अपने मन की बात।।२
 
सावन आया आ गई,जैसे मस्त बहार।
मीठी -मीठी फिर हुई, नैनों में तकरार।। ३
 
कड़ कड़ कड़के दामिनी, घन बरसें घनघोर।
कोयल कूके बाग़ में, मोर मचाए शोर।।४
 
बिन साजन सूनी लगे,सावन की बौछार
तन पर बारिश यूँ लगे, जैसे हो अंगार।। ५
 
मन में जागे प्रीत का, सावन में उन्माद।
मौन स्वरों में देह पर, स्पर्श करें संवाद।।६
 
गौर वर्ण जैसे गज़ल, अंग अंग ज्यूँ गीत।
सावन में दहका बदन, बहका मन का मीत।।७
 
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 11, 2020 at 5:59pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ' oजी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।

Comment by Sushil Sarna on August 11, 2020 at 5:59pm

आदरणीय  अमीरुद्दीन 'अमीर' oजी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।

Comment by Sushil Sarna on August 11, 2020 at 5:58pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप''जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।

Comment by Sushil Sarna on August 11, 2020 at 5:58pm

आदरणीय Samar kabeer'जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2020 at 6:25am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन, सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 1, 2020 at 4:34pm

आदरणीय सुशील सरना जी, आदाब। सुन्दर दोहे हुए हैं, बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by नाथ सोनांचली on June 28, 2020 at 3:27pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। अच्छे दोहे सृजित हुए हैं। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Samar kabeer on June 28, 2020 at 11:30am

जनाब सुशील सरना जी आदाब, बारिश पर अच्छे दोहे लिखे आपने, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service