For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1212 22 /112

सिर्फ़ कुर्सी का रास्ता हूँ मैं
यूं रियाया का रहनुमा हूं मैं

आदमी हूं अना है ग़ैरत है
फिर भी वक़्त आने पर बिका हूं मैं

रसन-ए-जोर-ओ-ज़ुल्म इतनी चली
रह गया ढांचा घिस गया हूं मैं

जश्न-ए-आज़ादी हूं मैं कैसे कहूँ
लगता है जैसे हादसा हूँ मैं

तोड़ पत्थर में बन गया पत्थर
अलविदा ख़ाब कह चुका हूं मैं

मुफ़लिसी का न ज़ात-ओ-मज़हब है
ये अगर कह दूं तो बुरा हूं मैं

जेब मुफ़लिस की.. दिल अमीरों का
ये न भरती कि थक गया हूं मैं

हुस्न के जल्वे देख देख अभी
कोई मंज़र हसीं बना हूं मैं

छोड़ ख़्वाब-ए-सियासत अब तो 'क़दम'
जिससे चाहा न मिल सका हूं मैं

क़दम जयपुरी
जयपुर

मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 678

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on May 14, 2020 at 9:44am

हार्दिक बधाई आदरणीय क़दम जयपुरी जी। बेहतरीन गज़ल।

जश्न-ए-आज़ादी हूं मैं कैसे कहूँ
लगता है जैसे हादसा हूँ मैं

तोड़ पत्थर में बन गया पत्थर
अलविदा ख़ाब कह चुका हूं मैं

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 14, 2020 at 6:33am

आ. ओमप्रकाश जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Om Prakash Agrawal on May 14, 2020 at 3:41am
आदरणीय विजय निकोरे जी,
सराहना हेतु साभार धन्यवाद।
Comment by Om Prakash Agrawal on May 14, 2020 at 3:41am
आदरणीय कबीर साहब,
आपका सुझाव और सराहना बहुत बहुमूल्य है । हृदय से आभारी हूँ।
अपेक्षित सुधार करूंगा।
सामार धन्यवाद
Comment by vijay nikore on May 13, 2020 at 2:00pm

आ० कदम जयपुरी जी, गज़ल पढ़ी, लय अच्छी लगी। बधाई आदरणीय।

भाई समर कबीर जी, आपकी प्रतिक्रियाओं से मुझको अक्सर बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है। दिल से शुकिया।

Comment by Samar kabeer on May 13, 2020 at 11:53am

जनाब क़दम जयपुरी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'यूं रियाया का रहनुमा हूं मैं'

इस मिसरे में 'रियाया' ग़लत है,सहीह शब्द है "रिआया" देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service