For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (मातृ दिवस पर विशेष)

2122 2122 2122 212

ख़ुद रही भूकी मुझे जी भर खिलाना याद है
मुफ़लिसी में टाट का 'स्वेटर' बनाना याद है

इम्तिहां कोई भी हो आशीष देती थी सदा
मां का हाथों से दही चीनी खिलाना याद है

एक मुर्शिद की तरह से हाथ सर पर फेरती
मैंने क्या कीं ग़लतियां इक इक गिनाना याद है

पाठशाला हम न जाएंगे ये ज़िद जब हमने की
पकड़े कान और खींच कर बस्ता थमाना याद है

बद-नज़र से दूर रखना था सियह टीका लगा
जो हरारत थोड़ी भी हो सहम जाना याद है

माँ सा तो मुश्क़िल कुशा मिल ही न पाया अब तलक
वालिहाना देना पंद-ए-मुश्फ़िक़ाना याद है

अब सिवा यादों के तेरी है 'क़दम' के पास क्या
जो नसीहत दीं अमल में मुझको लाना याद है

मुश्क़िल कुशा ..मुश्क़िल दूर करने वाला
वालिहाना..प्रेम से
पंद-ए-मुश्फ़िक़ाना....स्नेहिल सलाह या दिशा निर्देश


क़दम जयपुरी
जयपुर
मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 13, 2020 at 11:41am

जनाब क़दम जयपुरी जी आदाब,ओबीओ मंच पर आपका स्वागत है ।

ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।


'बद-नज़र से दूर रखना था सियह टीका लगा
जो हरारत थोड़ी भी हो सहम जाना याद है'

इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं हुआ,देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 13, 2020 at 8:51am

आ. भाई ओमप्रकाश जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Om Prakash Agrawal on May 11, 2020 at 12:05pm
सहृदय धन्यवाद आदरणीय सराहना हेतु
Comment by TEJ VEER SINGH on May 11, 2020 at 11:51am

हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश अग्रवाल जी।मातृ दिवस के अवसर पर एक बेहतरीन गज़ल।

माँ सा तो मुश्क़िल कुशा मिल ही न पाया अब तलक
वालिहाना देना पंद-ए-मुश्फ़िक़ाना याद है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। लघु आकार की मारक क्षमता वाली लघुकथा से गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service