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होली के दोहे :

नटखट नैनों ने किया, कुछ ऐसा हुड़दंग।
नार नशा हावी हुआ, फीकी लगती भंग।।१

साजन लेकर हाथ में, आये आज गुलाल।
बाहुबंध में शर्म से, लाल हो गए गाल।। २

अधरों पर है खेलती, एक मधुर मुस्कान।
तन पर रंगों ने रची, रिश्तों की पहचान।। ३

होली के त्योहार पर ,इतना रखना ध्यान।
नारी का अक्षत रहे ,रंगों में सम्मान।।४

गौर वर्ण पर रंग ने, ऐसा किया धमाल।
नैनों नें की मसखरी, गाल हो गए लाल।। ५

प्रेम प्यार का राग है, होली का त्योहार ।
देह -देह पर सज रही, रंगों की बौछार ।।६

होली का त्योहार है, रिश्तों की मनुहार।
मन मुटाव को भूल कर,गले मिलें सौ बार।।७

संयत होली खेलिए, रहे सुरक्षित चीर।
ऐसा कर्म न कीजिए, नार बहाए नीर।।८

मचले मचले मनचलों, की बहकी है चाल।
धरती अंबर कर दिए, लाल रंग से लाल।।९

होली पर मत कीजिए, कोई ऐसी बात।
जीवन भर के दर्द का, बन जाए आघात।।१०

हर अपने को दीजिए, अपनेपन का रंग।
मिटे न मिलने की कभी, जीवन में उमंग।।११

बार बार आते नहीं, होली से त्यौहार।
इक दूजे को दीजिए, रंगों का उपहार।।१२

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by vijay nikore on March 17, 2020 at 2:55pm

दोहे अच्छे लगे। बधाई मित्र सुशील जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2020 at 4:09pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन एवं होली की हार्दिक शुभकामनाएं । 

होली के संदर्भ में सुन्दर दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on March 8, 2020 at 7:38am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,होली विषय पर आपने बहुत अच्छे दोहे लिखे हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

भाई जवाहर लाल सिंह जी की बात का संज्ञान लें ।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 7, 2020 at 6:24pm

आदरणीय सुशील सरना जी, सादर अभिवादन!

फागुन के उमंग में सभी दोहे सराबोर हैं. 

एक बार हर अपने को दीजिए, अपनेपन का रंग।
मिटे न मिलने की कभी, जीवन में उमंग।।११ में चतुर्थ चरण को एक बार पुन: देख लें  ... सादर 

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