For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 212

दुश्मनी हमसे  निकाली  जाएगी ।
बेसबब इज्ज़त उछाली जाएगी ।।

नौकरी मत  ढूढ़  तू इस मुल्क में ।
अब तेरे हिस्से की थाली जाएगी ।।

लग रहा है अब रकीबों के लिए ।
आशिकी साँचे में ढाली जाएगी ।।

चाहतें   अब  क्या  सताएंगी   उसे ।
जब कोई ख़्वाहिश न पाली जाएगी ।।

इश्क़ गर अंजाम  तक  पहुंचा नहीं ।
फिर कही उल्फ़त ख़यालीजाएगी।।

ऐ खुदा इक दिन तेरे दर पर तो ये ।
जिंदगी  बनकर  सवाली  जाएगी।।

इश्क़ पर कुछ तो भरोसा है मुझे ।
कैसे कह दूं बात खाली जाएगी ।।

यह छलकती आंखों से मय देखिए ।
कौन  से  प्याले  में  डाली जाएगी ।।

        - नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 512

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 19, 2019 at 1:44pm

गज़ल का सबसे जानदार शेर

नौकरी मत  ढूढ़  तू इस मुल्क में ।
अब तेरे हिस्से की थाली जाएगी ।।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2019 at 5:43pm

आ0 कबीर साहब वेहतरीन इस्लाह हेतु हार्दिक आभार और नमन।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 16, 2019 at 7:25am

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

यह छलकती आंखों से मय देखिए ।
कौन  से  प्याले  में  डाली जाएगी ।।

Comment by Samar kabeer on July 14, 2019 at 11:17am

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'नौकरी मत  ढूढ़  तू इस मुल्क में ।
अब तेरे हिस्से की थाली जाएगी'

इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं है,देखियेगा ।

'चाहतें   अब  क्या  सताएंगी   उसे'

इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-

'ज़िन्दगी कैसे सताएगी भला'

'ऐ खुदा इक दिन तेरे दर पर तो ये'

इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-

'ऐ ख़ुदा, इक दिन तेरे दरबार में'

'इश्क़ पर कुछ तो भरोसा है मुझे'

इस मिसरे को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-

'इश्क़ पर अपने भरोसा है मुझे'

'यह छलकती आंखों से मय देखिए'

इस मिसरे में 'से' की जगह 'की' शब्द उचित होगा,ग़ौर करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला नहीं हुआ,  जनाब  ! मिसरे परस्पर बदल कर देखिए,  कदाचित कुछ बात  बने…"
31 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आराम  गया  दिल का  रिझाने के लिए आ हमदम चला आ दुख वो मिटाने के लिए आ  है ईश तू…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। तीसरे शेर पर…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शायर निकलता है।…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुति में हुई कोई…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
4 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122 1 मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए आ।वादे जो किए तू ने निभाने के लिए…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपने ठीक ध्यान दिलाया. ख़ुद के लिए ही है. यह त्रुटी इसलिए हुई कि मैंने पहले…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी, आपकी प्रस्तुति का आध्यात्मिक पहलू प्रशंसनीय है.  अलबत्ता, ’तू ख़ुद लिए…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलकराज जी की विस्तृत विवेचना के बाद कहने को कुछ नहीं रह जाता. सो, प्रस्तुति के लिए हार्दिक…"
5 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"  ख़्वाहिश ये नहीं मुझको रिझाने के लिए आ   बीमार को तो देख के जाने के लिए आ   परदेस…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service