For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"तुम रातभर बैचेन थी। हो सके तो आज आराम करो। मैंने चाय बनाकर थर्मस में डाल दी हैं। मैं नाश्ता, खाना आफ़िस में ही ली लूँगा, तुम बस अपना बनवा लेना। आफ़िस से छुट्टी ले लो।"
पास तकिए पर रखे कागज को पढा और चूमकर सीने पर रख लिया। आफ़िस में इस एक दिन के अवकाश की लड़ाई लड़ी और जीती भी थी।
चाय का कप लेकर बालकनी में आई तो सहज ही प्लास्टिक की पन्नियाँ बीनती उन लड़कियों पर नजर गयी। उफ्फ, ये लोग क्या करती होंगी इन दिनों? कप हाथ में लिए-लिए ही झट नीचे आयी। उन्हें आवाज लगाकर अपने पास बुलाया " कितने साल की हो तुम लोग, महावारी आती है? जब आती है तब क्या करती हो?"
पहले तो वे सकुचाई मगर उनमें से एक धीरे-धीरे खुल गयी। झोपडे में ही रहते है कभी राख या मिट्टी...जो उन्होंने बताया वो मेरे लिए "आँख खोलने वाली बात थी।" पैड इत्यादि की इतनी सुविधाओं में भी हम ऑफिस के कर्मचारी अपने लिए लड़कर क्या साबित करते है। नारी सशक्तिकरण बातें अब बेमानी लगने लगी थी.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 544

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on September 27, 2017 at 7:45pm

एक अलग विषय पर कलम चलाकर समाज की विसंगति को सफलतापूर्वक उभारने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. नयना जी. सादर.

Comment by Nita Kasar on September 27, 2017 at 7:25pm
स्वच्छ भारत ,स्वस्थ्य भारत सार्थक संदेश देती कथा है।आज भी गाँवों में स्थिति बेहद तकलीफदायक है ।क्योंकि जनजागरूकता का अभाव है ।बधाई कथा के लिये आद० नयना जी ।
Comment by vijay nikore on September 27, 2017 at 5:51am

सुन्दर अभिव्यक्ति।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2017 at 7:28pm
शीर्षक बहुआयामी संकेत देने वाला होने के कारण पहले तो पाठक का ध्यान आकृष्ट कराता है रचना की ओर और फिर झकझोरते हुए विचार करने को छोड़ देता है।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2017 at 7:25pm
सबका साथ सबका विकास का सार्थक आह्वान करती बेहतरीन विचारोत्तेजक रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय नयना 'आरती' कानिटकर जी। यहां आपकी लेखनी का नवीनतम व तीखा रूप हमें देखने को मिला।
Comment by Samar kabeer on September 26, 2017 at 3:28pm
मोहतरमा नयना जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नयना(आरती)कानिटकर on September 26, 2017 at 3:15pm

प्रतिभा दीदी बहुत-बहुत धन्यवाद. रचना पर त्वरित टिप्पणी वे इसका मर्म समझने के लिए.

Comment by pratibha pande on September 26, 2017 at 1:15pm
सबसे पहले इस विषय पर कलम चलाने के लिये साधुवाद लीजिये आदरणीया नयना जी। अंतिम पंक्ति झंकझोरती है और हमारे गढे हुए आधुनिक समाज के आडंबरों की पोल खोलती है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । छंद पर आपका प्रयास सराहनीय…"
9 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । खिल उठता है बुझा हुआ मन, आते जब…"
17 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्रानुकूल बहुत सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई "
17 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह...दीपोत्सव के हर आयाम को समेट लिया है आपके इस गीत ने।अंतिम छंद का भाव बहुत सार्थक। हार्दिक बधाई…"
20 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
25 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । सरसी छंद की बीस पंक्तियों के लिए…"
39 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ हर बरस हर नगर में होता, अरबों का व्यापार।         …"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service