For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२२ २१२२ २


हो गयी है कोफ़्त जीने से
जा निकल भी ऐ जां सीने से


है सराबों का सफ़र ताउम्र
पूरा हो कैसे सफीने से


जिस्मो दिल हों ज़ख़्मी अब बेशक
रखना खुद को तुम करीने से


ख़त किताबों में मुड़ा पाया
लग गए वो लम्हे सीने से


है लिखें तकदीर में जो ज़ख्म
ये नहीं मिटते मै पीने से


हुश्न हो या इश्क हो गुमनाम
हो चुके रिश्ते भी झीने से


मौलिक व अप्रकाशित


गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2015 at 1:28am

आदरणीय गुमनाम सर जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करे. इन दो अशआर के लिए दिल से दाद कुबूल फरमाए -

ख़त किताबों में मुड़ा पाया 
लग गए वो लम्हे सीने से

है लिखें तकदीर में जो ज़ख्म 
ये नहीं मिटते मै पीने से

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 5, 2015 at 9:37pm

अजय जी खुर्शीद जी हरी प्रकाश जी राजेश जी आप सभी का शुक्रिया राजेश कुमारी जी आपकी सलाह का शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 5, 2015 at 8:33pm

हो गयी है कोफ़्त जीने से 
जा निकल भी ऐ जां सीने से----जाँ निकल भी  जा ए सीने से----इसे इस तरह कर लें 

ख़त किताबों में मुड़ा पाया 
लग गए वो लम्हे सीने से-----दिल तक पंहुचता शेर वाह्ह्ह्ह 

मक्ता भी बहुत खूब 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने दिली दाद कबूलिये 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 5, 2015 at 4:04pm

 गुमनाम भाई, बस अब तो  गुमनाम ना रहिये 

असल नाम ,क्या है भाई , जनाब कुछ तो कहिये !

Comment by khursheed khairadi on February 5, 2015 at 11:25am

ख़त किताबों में मुड़ा पाया 
लग गए वो लम्हे सीने से

है लिखें तकदीर में जो ज़ख्म 
ये नहीं मिटते मै पीने से

आदरणीय गुमनाम साहब ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |

Comment by ajay sharma on February 4, 2015 at 11:07pm

हो गयी है कोफ़्त जीने से 
जा निकल भी ऐ जां सीने से..............wah sher hua hai ,......aah nikal gayi ...

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 4, 2015 at 5:56pm

धन्यवाद गिरिराज जी बागी जी विजय जी बहुत धन्यवाद

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 4, 2015 at 5:55pm
धन्यवाद गिरिराज जी बागी जी विजय जी बहुत धन्यवाद

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 4, 2015 at 3:23pm

है सराबों का सफ़र ताउम्र
पूरा हो कैसे सफीने से         --- बढ़िया शे र , वाह ! बहुत बहुत बधाइयाँ , गज़ल के लिये , आ. गुमनाम भाई ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 4, 2015 at 10:56am

"वाह आदरणीय बहुत ही सुंदर ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने … हार्दिक बधाई।"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service