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आधी अधूरी सी ये ज़िन्दगी

तमन्नाओं से भरी हुई  

जिज्ञासाओ को छुती हुई 

पल की खबर नही 

ठूंठ की तरह खड़ी हुई

आज का पता नही

कल का ठिकाना नही

चल रही बेबाक सी 

किसी का खौफ नही

बनती बिगड़ती फिर सवंरती

कैसी खोखली ये ज़िन्दगी 

आगे दौड़ने की होड़ में रह गई पीछे 

ताश के पत्तों सी बिखरी हुई 

आधी अधूरी सी ये ज़िन्दगी 

Views: 727

Comment

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Comment by Aarti Sharma on April 16, 2013 at 10:20pm

आदरणीय विजय भाई एवं आदरणीय केवल जी,बसंत जी,संदीप जी,पाठक जी,श्याम जी,प्रदीप सर,ब्रिजेश जी,अशोक सर,बागी सर,योगी जी,राजेश जी,एवं प्रिय प्राची जी और राजेश मैंम ..आप सभी का रचना सराहने हेतु कोटि कोटि धन्यवाद...अपना स्नेह इसी तरह बनाये रखिये एवं समय समय पर उचित मार्गदर्शन करिए...आभार 

Comment by राजेश 'मृदु' on April 16, 2013 at 5:49pm

जीवन के खालीपन को बताती अच्‍छी रचना के लिए बधाई

Comment by Yogi Saraswat on April 16, 2013 at 10:59am

जिंदगी को अलग अलग लोग अलग अलग तरीके से परिभाषित  हैं ! बहुत सार्थक और सुन्दर बात कही है आपने आदरनीय आरती शर्मा जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2013 at 9:52am

जिन्दगी तेरे रूप अनेक, विभिन्न रूपों को बहुत ही करीने से अभिव्यक्त किया गया है, बहुत बहुत बधाई आदरणीया आरती जी ।  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 9:36am

ज़िंदगी के विविध रंग.... कभी उल्लास तो कभी सूनापन 

विषमताओं से बेज़ार ज़िंदगी की मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए बधाई आ० आरती जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 15, 2013 at 10:43pm

जिस राह ले जाओ उसी राह चल देती है जिंदगी. आदरणीया आरती जी सुन्दर रचना प्रस्तुति.

Comment by बृजेश नीरज on April 15, 2013 at 8:00pm

बहुत सुन्दर!

Comment by vijay nikore on April 15, 2013 at 6:22pm

आदरणीया आरती जी:

 

// कैसी खोखली ये ज़िन्दगी

आगे दौड़ने की होड़ में रह गई पीछे

ताश के पत्तों सी बिखरी हुई

आधी अधूरी सी ये ज़िन्दगी//

बहुत ही मार्मिक भाव हैं। प्रस्थितियों में उलझे हम सभी मन को कितना सुदृढ़ करते हैं,

फिर भी रह-रह कर कुछ बिखरे टुकड़ों को ख़यालों में आने से रोक नहीं पाते, उन्हें ठेल

नहीं पाते।

 

सुन्दर भावाभिव्यक्ति। बधाई। 

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 15, 2013 at 4:36pm

जिंदगी के कई रूप, 

बिखरी जिंदगी 

संवरती जिंदगी 

बधाई,

आदरणीया आरती जी 

सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on April 15, 2013 at 4:24pm

bahot khoob.....................

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