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माटी कहे कुम्हार से

माटी कहे कुम्हार से,

मुझको दे ऐसा आकार,

फिर न चक्का चढू कभी,

मिलूं संग निराकार ...

मुझे रंग दे नाम के रंग में,

पकुं मै तप की अगन में ,

सांचा ऐसा लादे मुझको ,
ढल जाऊं मै सत्कर्म में...

चिकना इतना करदे मुझे,

माया टिके न कोई इसपे,

घट ही में अविनाशी सधे,

हो जोत अंदर परकाशी रे ...

जग तारन कारण देह धरे,

सत्कर्म करे जग पाप हरे, 

चित्त न डगमग मेरा डोले,

ध्यान तेरे चरणों में रहे...

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Comment

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Comment by Aarti Sharma on March 21, 2013 at 2:28pm

आपका हार्दिक धन्यवाद दिनेश सर..

Comment by Aarti Sharma on March 16, 2013 at 11:53pm

आदरणीय विजय भाई ..आपका सहृदय धन्यवाद ..आपने मेरी रचना को समय दिया ...मेरे लिए इतना ही काफी है सादर

Comment by Aarti Sharma on March 16, 2013 at 11:51pm

आपका हार्दिक धन्यवाद डॉ. स्वर्ण जी

Comment by Dr. Swaran J. Omcawr on March 15, 2013 at 1:07pm

 बहुत बढ़िया भावपूरण  आलेख 


sharing  के लिए आभार 
Comment by vijay nikore on March 9, 2013 at 1:12pm

आदरणीया आरती जी,

 

सफ़र से लौटने के बाद कई रचनाएँ सामने नहीं आईं,

अत: प्रतिक्रिया देने में देर के लिए क्षमा याचना के साथ, बहन।

 

मुझे रंग दे नाम के रंग में,

पकुं मै तप की अगन में ,

सांचा ऐसा लादे मुझको ,

ढल जाऊं मै सत्कर्म में...

सुन्दर संदेश से भरपूर

इस अच्छी रचना के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Aarti Sharma on March 1, 2013 at 12:32am

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीया मंजरी जी.

Comment by mrs manjari pandey on February 28, 2013 at 11:45pm

  आदरणीया  आरती जी माटी  की  पुकार क्या खूब बयां किया है।

Comment by Aarti Sharma on February 26, 2013 at 7:03pm

राजेश जी आपका तहेदिल से धन्यवाद ..आभार 

Comment by राजेश 'मृदु' on February 26, 2013 at 11:01am

बढि़या लिखा है आपने, आपका लेखन सुंदर है बाकी बात अग्रजों ने कह दी है, सादर

Comment by Aarti Sharma on February 25, 2013 at 10:20pm

आदरणीय पाठक जी ,आपका तहेदिल से शुक्रिया...

कृपया ध्यान दे...

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"जय हो.. "
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"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
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"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
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"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
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"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
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"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
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"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
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