आदरणीय गणेश जी, सादर नमस्कार, यह मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य एवं हर्ष का विषय है कि मेरी रचना "आ प्रिये कि प्रेम का हो एक नया श्रृंगार अब. (../profiles/blogs/5170231:BlogPost:265100) " को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा मेरे छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इसके लिए मैं आपका एवं पूरी निर्णायक टीम तथा सभी मित्रों का ह्रदय से आभारी हूँ.
आदरणीय गणेश सर जी आपकी बधाई ह्रदय से स्वीकार करते हुए मन प्रफुल्ल्ति हुआ जा रहा है आपके इस अनुपम स्नेह के आगे नतमस्तक हूँ आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
मेरे पास आपका आभार व्यक्त करने के लिए प्रयाप्त शब्द नहीं है बड़े भाई ! बस यों समझ लो...की गूंगे को गुड़ खिला दिया आपने........... बड़ा आनंद आ रहा है
बहुत बहुत धन्यवाद आपको और हम सबके संगम स्थल ओ बी ओ को.....सम्मान्य श्री गणेश जी बागी साहेब, मन अभिभूत है आप सब के इस स्नेह के लिए........पता नहीं, मैं इस पुरस्कार के योग्य था या नहीं, परन्तु मिला है तो मन मधुबन खिला है
अभी यात्रा पर हूँ.....आज जगदलपुर ( बस्तर ) से विजयवाड़ा जा रहा हूँ..........इसलिए ज़्यादा समय नहीं दे पा रहा हूँ..........इस बात का बहुत मलाल है .
सचमुच, बहुत मिस कर रहा हूँ आप सब को............... :-(((((((((
बागी जी सादर नमस्कार ! ओबीओ मंच ने यह सम्मान देकर मेरे दायित्वों को और बढ़ा दिया है। मैं पूरी कोशिश करुंगा की मंच पर अपनी सार्थक उपस्थिति देता रहूँ और आप सभी मित्रों के अशानुरूप कार्य करता रहूँ। इस सम्मान के लिए मैं आपको और ओबीओ के संपादक मण्डल का बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ !साभार !
बागी भाई नमस्कार! आपने बहुत ही महत्त्वपूर्ण त्रुटि की तरफ ध्यान आकर्षित किया जिसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ। बस न जाने कैसे इतनी बड़ी ग़लती हो गयी....रही बात कुछ मिसरोन के वज़न की तो ठीक कर दिया है। एक बार और नज़ारे इनायत हो जाये तो अच्छा लगेगा, शुक्रिया।
ओ बी ओ संस्थापक श्री गणेश जी बागी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं !! इस मंच की स्थापना और सफल सञ्चालन कर आपने एक स्तुत्य कार्य किया है और कीर्तिमान स्थापित किये हैं अनंत शुभकामनाएं भी !!
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
Er. Ganesh Jee "Bagi"'s Comments
Comment Wall (269 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
आदरणीय गणेश सर.......आपको और समस्त ओ बी ओ परिवार को शिक्षक दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ........
Respected Er Ganesh Bagi ji,
आदरणीय गणेश जी,
सादर नमस्कार, यह मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य एवं हर्ष का विषय है कि मेरी रचना "आ प्रिये कि प्रेम का हो एक नया श्रृंगार अब. (../profiles/blogs/5170231:BlogPost:265100) " को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा मेरे छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इसके लिए मैं आपका एवं पूरी निर्णायक टीम तथा सभी मित्रों का ह्रदय से आभारी हूँ.
nice snaps,sweet memories
आदरणीय गणेश जी ,,, आपका बहुत आभार ,,, आपकी शुभकामनाओं की बहुत आभारी हूँ ,,, ये स्नेह यूँ ही बनाये रखियेगा ,, प्रणाम
आदरणीय गणेश सर जी आपकी बधाई ह्रदय से स्वीकार करते हुए मन प्रफुल्ल्ति हुआ जा रहा है
आपके इस अनुपम स्नेह के आगे नतमस्तक हूँ
आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
बागी जी सादर नमस्कार ! जन्म दिन पर आपकी शुभकामनाओं और बधाइयों के लिए आपका बहुत आभारी हूँ। सधन्यवाद ! डॉ. सूर्या
मेरे पास आपका आभार व्यक्त करने के लिए प्रयाप्त शब्द नहीं है बड़े भाई !
बस यों समझ लो...की गूंगे को गुड़ खिला दिया आपने...........
बड़ा आनंद आ रहा है
बहुत बहुत धन्यवाद आपको और हम सबके संगम स्थल ओ बी ओ को.....सम्मान्य श्री गणेश जी बागी साहेब, मन अभिभूत है आप सब के इस स्नेह के लिए........पता नहीं, मैं इस पुरस्कार के योग्य था या नहीं, परन्तु मिला है तो मन मधुबन खिला है
अभी यात्रा पर हूँ.....आज जगदलपुर ( बस्तर ) से विजयवाड़ा जा रहा हूँ..........इसलिए ज़्यादा समय नहीं दे पा रहा हूँ..........इस बात का बहुत मलाल है .
सचमुच, बहुत मिस कर रहा हूँ आप सब को............... :-(((((((((
आदरणीय संस्थापक महोदय श्री बागी जी आप से प्रसस्ति पत्र पाने को मन आतुर है बहुत बहुत धन्यवाद आज विवरण भेज दिया गया है ...आभार
स्वागत है आदरणीय ! जय ओ बी ओ |
बागी जी सादर नमस्कार ! ओबीओ मंच ने यह सम्मान देकर मेरे दायित्वों को और बढ़ा दिया है। मैं पूरी कोशिश करुंगा की मंच पर अपनी सार्थक उपस्थिति देता रहूँ और आप सभी मित्रों के अशानुरूप कार्य करता रहूँ। इस सम्मान के लिए मैं आपको और ओबीओ के संपादक मण्डल का बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ !साभार !
बागी भाई नमस्कार! आपने बहुत ही महत्त्वपूर्ण त्रुटि की तरफ ध्यान आकर्षित किया जिसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ। बस न जाने कैसे इतनी बड़ी ग़लती हो गयी....रही बात कुछ मिसरोन के वज़न की तो ठीक कर दिया है। एक बार और नज़ारे इनायत हो जाये तो अच्छा लगेगा, शुक्रिया।
बागी जी नमस्कार ! आपको ग़ज़ल अच्छी लगी और आप की दाद मिली। अच्छा लगा। आपका बहुत बहुत शुक्रिया!!
धन्यवाद गणेश जी, पिछलका साल वाला केकवा बड़ रहे ... मंहगाई जे न करा दे :)
थोड़ा देर ही सही जन्मदिन की असीम शुभकामनाएँ स्वीकार कीजिए
गणेश जी
जन्मदिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं ....
नित नूतन बजते रहें,जीवन के सब साज.
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
दोहा सप्तक ..रिश्ते
कुंडलिया. . .
दोहा पंचक. . . . .मजदूर
दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
दोहा पंचक. . . . .
दोहा दशम. . . . रोटी
ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
कैसे खैर मनाएँ
दोहा पंचक. . . . .प्रेम
यह धर्म युद्ध है
कुंडलिया .... गौरैया
बनो सब मीत होली में -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
काश कहीं ऐसा हो जाता
दोहा पंचक. . .
आँख मिचौली
ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
दोहा पंचक. . . . .
ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता )
Latest Activity
दोहा पंचक. . . . .मजदूर
दोहा सप्तक ..रिश्ते
कुंडलिया. . .
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि