For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अकेलापन —डॉo विजय शंकर

जिंदगी जीने का मौक़ा ,
भीड़ से निकल कर मिलता है ,
माहौल कुछ इस कदर
असर करता है।
अकेले हों तो ख़ुद से बात
करने का मौक़ा मिलता है l
भीड़ में तो आदमी बस
दूसरों की सुनता है।
हर आदमी कोई न कोई
सवाल लिए मिलता है ,
आपको अपनी सुनाता है ,
फिर भी आपके जवाब
को कौन सुनता है ?
शायद इसीलिये अकेलापन
आपको बहुत कुछ सीखने
समझने का मौक़ा देता है।
जिंदगी जीने का मौक़ा तो
भीड़ से निकल कर ही मिलता है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 927

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 5, 2019 at 10:29am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , रचना को मान देने और बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 5, 2019 at 9:20am

आ. भाई विजय जी, उत्क्रिष्ट रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 5, 2019 at 9:11am

आदरणीय सुश्री ( डॉo ) गीता चौधरी जी , रचना आपको पसंद आयी जानकर अच्छा लगा , आभार। आपने कविता पर ध्यान दिया और शीर्षक ‘ अकेलापन’ में अनुभव हो रही नकारात्मकता की ओर संकेत किया। यह बात मुझे भी खटक रही थी , विकल्प के रूप में एक अन्य शीर्षक , ‘भीड़ से हटकर ’ पर ध्यान गया भी पर फिर मैंने इसे ही अपना लिया क्योंकि मैंने अकेले होने के महत्व या अकेलेपन के महत्व का ही निरूपण किया है। मैं अपने प्रयास में सफल भी हूँ यह आपने ने भी माना है। अतः यह
शीर्षक सही है। नकारात्मकता को सकारात्मकता दे पाना भी एक धनात्मकता है , आशा है आप सहमत होंगी।
आपको धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on November 4, 2019 at 8:47pm

आदरणीय डा० विजय शंकर जी सादर प्रणाम, बहुत भाव एवं अर्थ समेटे है आपकी ये पंक्तियाँI , सर बहुत बधाई! पर अकेलापन एक नकारात्मक सा शीर्षक लग रहा है, जबकि बड़े ही सकारात्मक द्रष्टिकोण से आपने लिखा हैI

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service