For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा  - सलीम 'रज़ा' रीवा

ज़मी ये हमारी वतन ये हमारा 

उजड़ने न देंगे चमन ये हमारा 

वतन के लिए जो मेरी जान जाए

ख़ुदारा यहीं  फिर जनम लें दुबारा 

 

 

जो सरहद पे अपने सरों को कटाकर

अमर हो गये जो वतन को बचाकर

वो ख़ुश्बू के जैसे महकते रहेंगे

चमकते रहेंगे वो बनकर सितारा

 

भगत बोष सुखदेव बलिदानियो को

न भूलेंगे हम उनकी क़ुर्बानिओं को

वो फांसी में भी चढ़ गए हँसते हँसते

वतन के लिए हर सितम था गवारा 

 

तुम्हे याद करते हैं चाँद और तारे

तुम्हे  सरहदों की है मिट्टी पुकारें 

मोहब्बत की शम्मा जलाते रहेंगे

न टूटेगा रिश्ता हमारा तुम्हारा

 

न मज़हब सिखाता है तकरार बाँटो

अगर बाँटना हो सदा प्यार बाँटो 

अमन चैन हो सारी दुनिया में क़ाएम

ज़माने में हो हर तरफ भाई चारा 

_________________________

    सलीम रज़ा रीवा 

Views: 517

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 22, 2019 at 8:56pm

//

न मज़हब सिखाता है तकरार बाँटो

अगर बाँटना हो सदा प्यार बाँटो 

अमन चैन हो सारी दुनिया में क़ाएम

ज़माने में हो हर तरफ भाई चारा //

बहुत ही खूबसूरत भाव। आपको हार्दिक बधाई, मित्र सलीम जी।

Comment by Pratibha Pandey on August 16, 2019 at 4:33pm

आदरणीय सलीम जी बहुत ही  अच्छी रचना , बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 16, 2019 at 6:30am

आ. भाई सलीम जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service