For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हद से गुज़र गई हैं ख़ताएँ  -सलीम रज़ा रीवा

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन

.

हद से गुज़र गई हैं ख़ताएँ तो क्या करें 

ऐसे में उनसे दूर ना जाएँ तो क्या करें 

oo

उसकी अना ने सारे तअल्लुक़ मिटा दिए 

उस बे-वफ़ा को भूल  जाएँ तो क्या करें   

oo

मीना भी तू है मय भी तू साक़ी भी जाम भी

आँखों में तेरी डूब न जाएँ तो क्या करें

oo

कश्ती को डूबने से बचाया बहुत मगर 

हो जाएं गर ख़िलाफ़ हवाएँ तो क्या करें

oo

खुशियों का इंतज़ार 'रज़ामुद्दतों से है 

पीछा अगर न छोड़ें बलाएँ तो क्या करें

.

बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on April 19, 2019 at 8:28am

जनाब अजय कुमार शर्मा जी ,
आपके हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रिया ,

Comment by SALIM RAZA REWA on April 19, 2019 at 8:27am

जनाब सुशील सरना जी ,
आपके हौसला अफ़जाई के लिए बहुत शुक्रिया ,

Comment by SALIM RAZA REWA on April 19, 2019 at 8:25am

आपकी पुरख़ुलूस हौसला अफ़जाई का बेहद शुक्रिया मोहतरम समर साहब,

Comment by SALIM RAZA REWA on April 19, 2019 at 8:25am

बहुत शुक्रिया बृजेश जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 13, 2019 at 6:21pm

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है सलीम साहब..बधाई

Comment by Ajay Kumar Sharma on April 11, 2019 at 10:34am

सलीम रजा साहब बधाई स्वीकार करें.

बहुत सुन्दर गजल.

Comment by Sushil Sarna on April 10, 2019 at 6:39pm

वाह आदरणीय रज़ा साहिब, बहुत ही खूबसूरत अहसासों को अंज़ाम दिया आपने इस ग़ज़ल में। दिल से मुबारक कबूल फरमाएं सर।

Comment by Samar kabeer on April 9, 2019 at 6:04pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by SALIM RAZA REWA on April 8, 2019 at 11:14pm
अदरणीय तेज वीर सिंह जी,
आपकी मोहब्बत के लिए बहुत शुक्रिया
Comment by TEJ VEER SINGH on April 8, 2019 at 6:23pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा रीवा जी।बेहतरीन गज़ल।

कश्ती को डूबने से बचाया बहुत मगर 

हो जाएं गर ख़िलाफ़ हवाएँ तो क्या करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
17 hours ago
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service