For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत-वेदना ने नेत्र खोले-बृजेश कुमार 'ब्रज'

वेदना ने नेत्र खोले

रात ने उर लौ लगाई
चांदनी कुछ मुस्कुराई
आज फिर चन्दा गगन में बादलों के बीच डोले
वेदना ने नेत्र खोले

रातरानी खिलखिलाई
रुत रचाती है सगाई
आ गया मौसम बसंती प्रीत पंछी ले हिंडोले
वेदना ने नेत्र खोले

ओ बटोही देश आजा
छोड़कर परदेश आजा
टेरती कोयल सलोनी मन पपीहा नित्य बोले
वेदना ने नेत्र खोले
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 17, 2019 at 10:40pm

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय फूल सिंह जी..सादर

Comment by PHOOL SINGH on April 15, 2019 at 5:16pm

रातरानी खिलखिलाई
रुत रचाती है सगाई 
आ गया मौसम बसंती प्रीत पंछी ले हिंडोले 
वेदना ने नेत्र खोले

ब्रिजेश जी, सुंदर रचना बधाई स्वीकारें|

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 9, 2019 at 9:24am

देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय सुशील सरना जी..रचना पटल पे आपका स्वागत है...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 9, 2019 at 9:23am

देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय लक्ष्मण धामी जी..रचना पे उत्साहवर्धन के लिए साभार..

Comment by Sushil Sarna on March 26, 2019 at 7:07pm

आदरणीय बृजेश जी सुंदर भावों को चित्रित करते इस नवगीत के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 26, 2019 at 7:00pm

आ. भाई बृजेश जी, सुंदर नवगीत हुआ है । हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 21, 2019 at 6:22pm

उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर कबीर जी..आपको भी होली की शुभकामनाएं..

Comment by Samar kabeer on March 21, 2019 at 12:26pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब,अच्छा नवगीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आपको रंगोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
15 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service