तपस्या
राशि को एकटक सास-श्वसुर की फोटो देख,रोमिल के झकझोरने पर,सपने से जागी,कहने लगी,‘मेरी तपस्या पूरी हुई.’
'मुझे पाकर,अब कौन-सी तपस्या?'प्रश्नभरी निगाहों से,देखकर बोला.
झेप गई,,फिर संभलते हुए बोली,'हां,लेकिन मम्मी-पापा की बहू,दिल से अपनाने की तपस्या.'
सुनकर,खुशी में,हाथ पकड़कर बोला,'पर,तुम्हें.... कैसे..........?'
चेहरे पर बनते-बिगड़ते भावों से,लगा,जैसे उसे स्वर्ग मिल गया,‘आज तड़के सुबह,फोन पर मम्मी ने पहली बार बात की,दीपावली पर घर आने को कहा.’
.रोमिल चहका,पर,मम्मी की आखिरीबार बात,याद कर विचलित-सा हुआ,राशि से शादी करने पर,सदा के लिए नाता तोड़,कभी ना आने की सख्त हिदायत दी.राशि की आवाज से चेतकर,कहा,'रोज तस्वीर के सामने मनुहार करने का फल मिल गया.’.
'हां,अगर तुम सीधे-सीधे मान जाते तो वो सब नहीं ............'
बात पूरी सुने बिना,रोमिल ने उसके मुंह पर हाथ रखकर,मुस्कराकर कहा,'बीती ताहि बिसार दे,अब आगे की सोच.’
उन यादों में खो गई,जब पहली बार,औपचारिक जान-पहचान,कब दोस्ती से प्यार में बदल गई,सरकारी सर्विस में अधिकारी पोस्ट पर रोमिल,घर के बगल में रहता हैं.राशि भी कम्पनी में स्टेनों.जब कभी उदास रोमिल को,राशि के घरवालों से मिलकर अच्छा लगता,इतना घुल-मिल गया,बिना झिझक के आना-जाना,राशि के साथ अकेले घूमना,किसी रूढ़िवादी विचारों में ना बंधने वाले, जब घरवालों से शादी की बात रखी,तो दोनों खिलाफ हो गए.ज्यादा विरोध रोमिल के घरवालो ने किया.हालांकि रोमिल के बड़े भाई,प्रसून की शादी दूसरे समाज में हुई थी.लेकिन बात यहां राशि,रोमिल से बड़ी,परबिरादरी,बस,यही दो टूक-बात हो गई.समझाने-बुझाने पर रोमिल,घरवालों की सहमति में हामी भरता,पर राशि को घोलमाल जबाव देता,और कोई चारा ना देख ,दोनों ने शादी करने का विचार बना लिया,पर एक दिन गलतफहमी के चलते,संबंध विच्छेद हो गए.अपने-अपने रास्ते चल पड़े,इधर राशि का दूसरी जगह संबंध तय होने पर,रोमिल ने भी अपना जीवन साथी चुन लिया.लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था.रोमिल के साथ दोस्ती का पता लगने पर,राशि का रिश्ता टूट गया,फिर उसका लगाव रोमिल की तरफ झुक गया.जब उसने रोमिल से अपनी सगाई तोड़ने की बात,मना करने पर,उसने लड़की के घरवालों से अपना रोमिल के साथ पूर्व संबंध की बात कह रिश्ता तुड़वा दिया.रोमिल के घरवालों को समाज के साथ-साथ,घरवालों से काफी भला-बुरा सुनना पड़ा,रोमिल को भी राशि की इस हरकत से गुस्सा आया,पर कहीं-ना-कहीं अंदर से असीम शान्ति का एहसास,जैसे मन चाही मुराद,मिल गई.
बिछड़ा प्यार फिर फल-फूलने लगा,आपस में शादी करने का बचन दिया,लेकिन रोमिल ने परिवार को गुमराह कर,दवाब में,शादी की तिथि निश्चित कर दी.सब कुछ शांत था,कहते हैं,ना,गहरी शान्ति किसी बड़े तूफ़ान का संकेत.यही हुआ.अचानक प्रसून के फोन से,कोहराम मच गया,रोमिल की माँ तो अपनी ही कोख को भला बुरा कहे जा रही थी,हुआ यूं,कि राशि को शादी की खबर लगते ही,अपना खो बैठी,उसने,रोमिल,उसके भाई से बात की,धमकी दी,पर दोनों ने बात हल्के में ली,उलटा उसको ही धमकाया.बात हाथ से जाती देख,राशि ने दोनों भाईयों,उसकी भाभी के खिलाफ धोखा-घड़ी की रपट दर्ज करवा दी,घूमने,समय बिताने के सबूत भी पेश कर दिए.सभी के होश उड़ गए,इज्जत सड़क पर आ गई,रिश्ते-नातेदार सलाह कम,उलाहने ज्यादा मारते.आखिर में,रोमिल के ताऊजी ने राशि से बात कर,सुलटाने की बात की,हर तरह का प्रलोभन दिया,पर वो अपनी बात पर अडिग रही.उनके वकील ने भी यही एक रास्ता सुझाया,नहीं तो तीनो बच्चों की ज़िंदगी बर्वाद,साथ ही केस निपटने की कोई म्याद नहीं.लाचार पिता,बच्चों की भलाई के लिए,गुप्त रूप से,शादी आर्य मंदिर में करवाई गई,दूर खड़े रोमिल के पिता,जिस बेटे को वो अपना बायां हाथ समझते थे वो आज कट गया था,कितने अरमान सजाये थे रोमिल की शादी के,आज सब मिटटी में मिल गए.बस एक संतोष था,बड़ी बला, टल गई.खैर.........वक्त की बलिहारी......विवाहोपरांत तुरंत राशि ने केस वापिस की अर्जी लगा दी,रफा-दफा करने में पूरी जोड़-तोड़ लगा दी.यहां तक कि लिखित में सम्पत्ति में अनाधिकार पर भी हस्ताक्षर कर दिए.सब कुछ ठीक हो जाने,अचानक से राशि ने ,पैर छूकर अपने किये की माफ़ी मांगी,.क्या कहते,पिता ने,खुश रहो,और गाडी में बैठ गए.
रोमिल की माँ को,सबके समझाने पर भी,रोती रहती,घर पहुंचने पर,रोमिल ने पिता को,माँ से बात कराने को कहा तो,गुस्से से लाल,माँ ने गुस्से में कहा,‘आज से तू पराया हो गया हैं,कोई वास्ता नहीं.’
धीरे-धीरे सब का गुस्सा ठंडा पड़ गया,रोमिल और राशि से सब की बात हो जाती पर रोमिल की माँ बात नहीं करती.कहते हैं ना,वक्त सब घाव भर देता हैं,माँ की ममता ने घाव को नासूर नहीं बनने दिया.
और आज यही हुआ,आखिर राशि की तपस्या सफल हुई,उसकी तपस्या केवल अपने प्रेम को पाना ही नहीं था,बल्कि घरवालों का दुलार पाने की तपस्या थी.
मौलिक व अप्रकाशित
बबीता गुप्ता
Comment
संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद० बबिता गुप्ता जी ।धाराप्रवाह होने की वजह से लगता है कथा कहानी में परिणित हो गई है लगता है ।
आभार, आदरणीया नीलम दी,आदरणीय तेजवीर सरजी।
अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीया बबिता गुप्ता जी। आदरणीय उस्मानी जी के विचार से मैं भी सहमत हूँ।
हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता गुप्ता जी।बेहतरीन लघुकथा।
आभार सरजी।सहमत हूँ, सुधारात्मक प्रयास करूंगी ।
मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब उस्मानी जी से सहमत हूँ ।
जी सरजी।
बहुत बढ़िया। हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। लेकिन ज़रा कहानीनुमा हो गई है रचना।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online