For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ्रोज़न माइंड ( लघुकथा)

अस्पताल में एक रूम में बैठी हुई थी। तभी एक नर्स दौड़ती हुई आई और कहने लगी, " मिस्टर सुदर्शन के साथ कौन है?"
काव्या के कान चौकन्ने हो गए, उसने उस नर्स से कहा," जी मैं हूँ। क्या बात है सिस्टर?"
"आई.सी.यू. में आपको तुरंत बुलाया है...।
नर्स की बात पूरी भी नही हुई और काव्या चीते की गति से उस ओर दौड़ पड़ी।
आई.सी. यू. का दरवाजा खोलते ही उसने कमरे में चारों तरफ नज़र घुमाई, उसके पिताजी पिछले एक माह से कोमा में थे, डॉक्टरों ने फिर भी उम्मीद नही छोड़ी थी। उसने डॉक्टर की तरफ देखते हुए पूछा," क्या हुआ डॉक्टर साहब?"
" काव्या जी! टुडे वी हेव डिसाइडेड टू डू सिटी स्कैन फॉर योर फाथर! इन द मॉर्निंग ही हेड़ ऑपणड हिज आईज...।"
" इस इट!... "
काव्या को लगा जैसे उसके पिताजी अपनी मानसिक परेशानी की क़ैद से बाहर आ रहे हैं... लगा जैसे उसके अँधेरे जीवन में रौशनी की एक किरण किसीने दिखाई है... और क्यों न हो पिताजी के अलावा उसका अपना था ही कौन! माँ को कभी देखा नही था। पिताजी ने ही दोनों दायित्वों को निभाया था।
उसकी तुन्द्रा तब भंग हुई जब डॉक्टर ने उसके सामने कुछ पेपर्स रखे ," प्लीज साइन योर कंसेंट!"
काव्या ने साइन कर दिये और अपने पिताजी के पास जाकर उनके कान में कहा," डैडी! यू विल हेव तो कम आउट ऑफ़ योर इलनेस। योर डॉटर वांट्स यू, लव यू डैडी...।"
उसके आँखों से अश्रु की कुछ बुँदे उसके पिताजी के हाथों पर पड़ी।काव्या का हाथों ने उनको थामे हुए था, उसको लगा जैसे पिताजी ने उसके स्पर्श को आज एक माह के बाद मेहसूस किया था, उनमें आज हरकत आई थी...
"हाँ डैडी! आपको इस क़ैद से बाहर लाकर ही रहूँगी।" और वह आत्मविश्वास से आई.सी.यू . से बाहर आ गयी।


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on March 6, 2019 at 4:13pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी, नमस्कार। बहुत ही अच्छी भावपूर्ण लघुकथा। प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Nita Kasar on March 5, 2019 at 7:45pm

बेहद कठिन फैसला परंतु बेटी ने पिता की पीड़ा को समझा ।संवेदनशील कथा के लिये बधाई आद० कल्पना भट्ट जी ।

Comment by Hariom Shrivastava on March 4, 2019 at 11:05pm

वाह,वाहहह,बहुत सुंदर व मार्मिक लघुकथा

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 4, 2019 at 12:04pm

बढ़िया भावो से ओतप्रोत लघुकथा है आदरणीया

Comment by Samar kabeer on March 3, 2019 at 2:57pm

बहना कल्पना भट्ट "रौनक़" जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

पटल की दूसरी रचनाओं पर भी अपनी टिप्पणी दें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 3, 2019 at 1:24pm

बहुत बढ़िया। हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
55 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service