For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ८३

२१२२ २१२२ २१२२ २१२

दिल मेरा ख़ाली नहीं ज्यों कस्रते आज़ार से
है फुगाँ मजबूर अपनी फ़ितरते इसरार से //१

लाख समझाऊँ तेरी तब-ए-सितम को प्यार से
तू मुकर जाता है अपने वादा-ए-इक़रार से //२

वस्ल की तश्नालबी बढ़ जाती है दीदार से
कम नहीं फिर दिल ये चाहे सुहबते बिस्यार से //३

आ गए जब तंग हम हर वक़्त की गुफ़्तार से
सीख ली हमने ज़ुबाने ख़ामुशी दीवार से //४

क़ुव्वते दिल है ज़रूरी लड़ने को मंझधार से
कश्तियाँ चलती फ़क़त कब हाथ में पतवार से //५

आओ दुनिया को बदल दें इक नई यलगार से
सरहदों पे, या हो दिल पे, वास्ता है वार से //६

फ़त्हे जाँ से क़ब्ल फ़त्हे दिल की हम कोशिश करें
हो कलम से काम जब क्यों काम लें तलवार से //७

चुप भी रहकर उनसे दिल की राह क्या होती, मगर
मसअला कुछ और उलझा कोशिशे इज़हार से //८

जानता हूँ मैं फरेबे हुस्न की चालाकियाँ
है उन्हें आदत सी 'हाँ' भी करने की इनकार से //९

बे समर सा आदमी सूखा शज़र हो जाता है
झूठ के कीड़े चिपकने जब लगें किरदार से //१०

हों पशेमाँ याद कर अपने सितम की शिद्दतें
हाल पुर्सिश जब करें वो अपने ही बीमार से //११

इश्क़ में जीना भी मरने की तरह इक बार है
इक दफ़ा से जो न हो फिर वो न हो सौ बार से //१२

राज़ को अफ़सोस क्या हो फ़ितरते अफ़्सुर्दा का
जुज़ ग़मे दिल निकले भी क्या सीना-ए-अफ़्गार से //१३

~ राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित

कस्रते आज़ार- रंज का आधिक्य; फुगाँ- आर्तनाद, पुकार, दुहाई; फ़ितरते इसरार- बार-बार कहने की आदत, ज़िद या हठ करने का स्वभाव; सुहबते बिस्यार- प्रचुर साहचर्य; गुफ़्तार- वार्तालाप, बातचीत; यलगार- आक्रमण, धावा; बे समर- बिना फल के; फ़ितरते अफ़्सुर्दा- उदास रहने का स्वभाव; सीना-ए-अफ़्गार- क्षत-विक्षत सीना

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on December 21, 2018 at 9:08am

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह साहब, आदाब। ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफजाई का तहे दिल से शुक्रिया. 

Comment by नाथ सोनांचली on December 20, 2018 at 9:37am

आद0 राज़ नवादवी साहब सादर अभिवादन। अच्छी ग़ज़ल कही आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by राज़ नवादवी on December 18, 2018 at 3:35pm

आदरणीय नरेन्द्र सिंह चौहान साहब, आदाब अर्ज़ है. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. सादर 

Comment by राज़ नवादवी on December 18, 2018 at 3:35pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर, आदाब अर्ज़ है. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. सादर 

Comment by narendrasinh chauhan on December 18, 2018 at 11:37am

राज जी, सुंदर गजल । हार्दिक बधाई ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 18, 2018 at 11:10am

आ. भाई राज नवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by राज़ नवादवी on December 17, 2018 at 12:10pm

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by Samar kabeer on December 17, 2018 at 11:27am

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service