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दर्द का आँखों में सबकी - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर' ( गजल )

२१२२ /२१२२  /२१२२/ २१२

दर्द का आँखों में सबकी इक समंदर कैद है
चार दीवारी में हँसता आज हर घर कैद है।१।


हो न जाये फिर वो हाकिम खूब रखना ध्यान तुम
जिसके  सीने  में  नहीं  दिल  एक  पत्थर  कैद है।२।


जब से यारो ये सियासत हित परस्ती की हुयी
हो गया  आजाद  नेता  और  अफसर कैद है।३।


राज्य कैसा राम का यह ला रहे ये देखिये
बंदिशों से मुक्त रहजन और रहबर कैद है।४।


गाँव से  दूरी  अधिक   है  मानते  कानून की
शहर में भी कौन कहता अम्न को डर कैद है ।५।


शक्तिशाली आज  भी  है  मुक्त  दोषों से यहाँ
और जग में बिन वजह भी यार कमतर कैद है।६।


घर गृहस्ती नाम  जिसका  है कहाँ यारो सहज
कैद में सहचर की देखो अब भी सहचर कैद है।७।


भूख से नित ये  परेशाँ  बंदिशों से वो दुखी
फर्क क्या आजाद रामू और अकबर कैद है।८।

मौलिक-अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 26, 2018 at 10:00pm

आ. भाई महेंद्र जी, सादर आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 26, 2018 at 9:59pm

आ. भाई राज नवादवी जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by Mahendra Kumar on October 26, 2018 at 6:31pm

बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

Comment by राज़ नवादवी on October 26, 2018 at 5:14pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अआदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए दाद के साथ मुबारकबाद. सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2018 at 4:31pm

आ. भाई बृजेश जी, गजल पर आपकी उपस्थिति से मन प्रफुल्लित हुआ। प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 25, 2018 at 12:45pm

बहुतखूब बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2018 at 8:26am

आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। कमियों से अवगत करा मार्गदर्शन करते रहिए । शेष..सादर

Comment by Ajay Tiwari on October 25, 2018 at 6:16am

आदरणीय लक्ष्मण जी, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2018 at 2:02am

आ. भाई आरिफ जी, उपस्थिति और स्नेह.के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2018 at 2:01am

आ. भाई बलराम जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार ।

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