For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्लास के

सबसे होनहार बच्चे से

मैंने कहा

कल दो अक्टूबर है

और है

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की

जयंती   

तुम लिखो, एक निबंध

देश के राष्ट्र-पिता पर

और मुझको  दिखाओ

  • *     *

एक घंटे बाद

आया वह होनहार

लिखकर लाया था वह एक निबंध

जैसा मैंने कहा था  

  • *     *

 

उसने लिखा था

कल दो अक्टूबर है

और है

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की

जयंती   

एक गंजे और बूढ़े व्यक्ति की   

बहुत ही दरिद्र थे वह   

पहनते थे केवल एक मैली धोती

और उनकी आँखें

वे भी मायोपिक थी

इसीलिए उन पर रहता था हमेशा  

एक गोल-गोल चश्मा 

बड़ा ध्यान था शायद उनको समय का  

हमेशा खोंसे रहते थे

लटकौआ घड़ी    

धोती की फेंट में

चलने में भी उनको होता था कष्ट  

लिए रहते थे हमेशा एक लाठी

अपने दायें हाथ में

और कहलाते थे महात्मा

इस  दरिद्रता के कारण

कहते हैं अंग्रेजों  के चंगुल से

देश को छुडाने में

हाथ था उनका

और उन्हीं की वजह से

मिली थी देश को

शायद आजादी

और

और ---------

(मौलिक / अप्रकाशित )

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 3, 2018 at 4:38pm

आदरणीय डॉ गोपाल जी , सादर प्रणाम .. वर्तमान के ज्ञान का सुंदर और कटाक्षपूर्ण सृजन। आपकी रचना वास्तविकता को एक गहन सोच के साथ चित्रित कर रही है। कुछ सोचने को मजबूर करती इस सार्थक प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 3, 2018 at 4:35pm

आ. भाई गोपाल नारायण जी, गागर में सागर ...बहुत बहुत हार्दिक बधाई ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 2, 2018 at 6:22pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी बहुत बेहतरीन रचना लिखी आपने बधाई हो 

Comment by Mohammed Arif on October 2, 2018 at 4:18pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब,

                         महात्मा गांधी को केंद्र में रखकर रची गई एक बहुत ही बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on October 2, 2018 at 3:00pm

जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत उम्दा तंज़ है, वाह इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on October 2, 2018 at 2:21pm

आज के बच्चों के सीमित ज्ञान पर सुन्दर कटाक्ष । हार्दिक बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी। आपका यहाँ आन सुखद लगता है।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 2, 2018 at 8:13am

बेहतरीन कटाक्ष और इस सदी के मीडियापा जनित यथार्थ। हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब। "और...और" में अनकहा अभिव्यक्त तो है, लेकिन आपकी लेखनी में हम पाठक और चाह रहे हैं। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service