For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आपकी ओर से जब पहल हो गई

जिंदगी मेरी' कितनी सरल हो गई

 

उस तरफ आँख से एक मोती गिरा

इस तरफ आँख मेरी सजल हो गई

 

आपके रूठने का ये’ हासिल रहा

गुफ्तगू कम से’ कम, पल दो’ पल हो गई

 

घर हमारे पड़े जब कदम आपके  

झोंपड़ी अपनी’ जैसे महल हो गई  

 

प्यार हमने किया कैसे’ इजहार हो  

थी ये’ मुश्किल मगर आज हल हो गई

 

अधखिली थी कली प्रेम की कल तलक

देखिये अब वो’ खिलकर कमल हो गई

 

चंद मिसरे लबों पर लरजते रहे  

धीरे-धीरे मुकम्मल गजल हो गई

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:38pm

शुभ संध्या आदरणीय  vijay nikore  जी , आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:37pm

शुभ संध्या आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी , आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:37pm

शुभ संध्या आदरणीय Ajay Tiwari जी , आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:36pm

शुभ संध्या आदरणीय TEJ VEER SINGH जी , आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2018 at 5:36pm

शुभ संध्या आदरणीय Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' जी , आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया 

Comment by vijay nikore on September 24, 2018 at 5:21am

गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 20, 2018 at 6:02pm

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीय...

Comment by Ajay Tiwari on September 19, 2018 at 4:28pm

आदरणीय बसंत जी, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई.

Comment by TEJ VEER SINGH on September 19, 2018 at 12:06pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  बसंत कुमार शर्मा जी। बेहतरीन गज़ल।

चंद मिसरे लबों पर लरजते रहे  

धीरे-धीरे मुकम्मल गजल हो गई

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2018 at 9:57am

शुभ प्रभात आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी , आपकी हौसला अफजाई का बेहद शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
12 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
15 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service