For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पंकज उसी लिखावट की कमज़ोरी पर रो रहा....कविता......छंदमुक्त अतुकान्त

पीड़ा के ताप से,
पिघल रही मन की हिमानी
दो आँखें हुई हैं यमुनोत्री गंगोत्री
कंठ क्षेत्र देव प्रयाग हुआ है
जहाँ अलकनंदा और भगीरथी
की धाराएं आकर मिल रहीं
और हृदय क्षेत्र-हरिद्वार को
भिंगों रहीं

आप इसे रोना कह सकते हैं
लेकिन मैं अपना दुःख बहा रहा हूँ
अपने बैलों के साथ मर चुके किसान के प्रति
अपना फ़र्ज़ निभा रहा हूँ

शायद इससे अधिक कुछ कर नहीं सकता?

ना!!!!

सच ये है कि इससे ज्यादा कुछ करना ही नहीं चाहता

ख़ैर,
देख रहा हूँ....
उसके टूटे चप्पल, तार से सिले हुए
महसूस कर रहा हूँ...
उसके पाँव छिले हुए

अपना धर्म और कर्म तोल रहा हूँ
मैं; पंकज आज एकदम सच बोल रहा हूँ

फूँक देना चाहता हूँ धर्म की किताबें
जला देना चाहता हूँ कानून की इबारतें

वह विधान जो आज भी पाँव के छाले ढो रहा
पंकज उसी लिखावट की कमज़ोरी पर रो रहा......

मौलिक अप्रकाशित

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 12, 2018 at 12:54am

आदरणीया नीलम जी बहुत बहुत आभार

Comment by Neelam Upadhyaya on August 9, 2018 at 4:26pm

आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी,  बहुत ही बढ़िया हृदयस्पर्शी रचना की प्रस्तुति।  बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 8, 2018 at 4:36pm

आदरणीय विजय सर बहुत बहुत आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 8, 2018 at 4:35pm

आदरणीय आरिफ़ सर बहुत आभार

Comment by vijay nikore on August 8, 2018 at 12:56pm

//देख रहा हूँ....
उसके टूटे चप्पल, तार से सिले हुए
महसूस कर रहा हूँ...
उसके पाँव छिले हुए

अपना धर्म और कर्म तोल रहा हूँ//

बहुत ही अच्छा क्ड़वा सच है आपकी रचना में ... मन को छू गई। हार्दिक बधाई।

Comment by Mohammed Arif on August 8, 2018 at 12:37pm

आदरणीय पंकज मिश्रा जी आदाब,

                                नए-नए और प्रतीकों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on August 8, 2018 at 11:56am

ऐडिट कर दीजिए ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 8, 2018 at 12:00am

आदरणीय बाऊजी बहुत दिन बाद आना हो पाया, इसी वजह से गल्ती हो गई...

Comment by Samar kabeer on August 7, 2018 at 2:29pm

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,बहुत उम्दा और मार्मिक कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

मंच के नियमानुसार आपने कविता के अंत में अपना नाम व मौलिक व अप्रकाशित नहीं लिखा?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
15 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
16 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
16 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service