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मेरा घर - लघुकथा –

मेरा घर - लघुकथा –

"हद हो गयी, अभी तीन दिन पहले ही साफ किया था  जाला। फिर बना लिया"।

कमला झाड़ू लेकर मकड़ी के जाले को जैसे ही साफ करने लगी।

मकड़ी गिड़गिड़ाते हुये बोली,"क्या बिगाड़ा है मैंने तुम्हारा। क्यों मेरा घर संसार उजाड़ रही हो"?

"अरे वाह, मेरे ही घर में बसेरा कर लिया और मुझे ही ज्ञान दे रही हो"।

"हर कोई किसी ना किसी पर आश्रित है। संसार की यही रीति है"।

"होगी, पर मुझे तो नहीं पसंद। और यह तुम्हारा घर संसार। क्या है इसमें? जीवन भर की क़ैद। उम्र भर छटपटाकर इसी में अंत"।

"ओहो, और तुम्हारा, कभी सोचा है अपने जीवन के बारे में? तुम तो मुझसे भी बुरी तरह उलझी हुई हो, इस अपने ही बनाये मकड़जाल में। जिसे तुम दिन रात मेरा मेरा करती हो, तुम भी तो इसी में एक दिन खत्म हो जाओगी"।

मकड़ी के मुँह से इतनी यथार्थ और भेद भरी बात सुनकर कमला के हाथ से झाड़ू छूट कर दूर जा गिरी। वह अपने आप को एक मामूली सी मकड़ी के सामने तुच्छ और असहाय महसूस कर रही थी।

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on August 7, 2018 at 7:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 6, 2018 at 5:05pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, परिवार में स्त्री की स्थिति के यथार्थ को दर्शाती  अच्छी लघुकथा हुयी है।  प्रस्तुति के लिए बधाई। 

Comment by TEJ VEER SINGH on August 5, 2018 at 5:29pm

हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 5, 2018 at 5:28pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by babitagupta on August 5, 2018 at 3:47pm

स्त्री जीवन को आइना दिखाती मकड़ी,बेहतरीन लघु कथा,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Samar kabeer on August 4, 2018 at 12:03pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 4, 2018 at 11:27am

हाएदिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।लघुकथा पर आपने जो विस्तृत टिप्पणी द्वारा विवेचना और व्याख्या की है उसने मेरा और मेरी लघुकथा का उत्साह वर्धन किया है।शुक्रिया।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 4, 2018 at 1:50am

एक अहम मानव पात्र लेते हुए मुख्य मानवेतर पात्र के जीवन से तुलनात्मक अवलोकन पेश कर यथार्थपूर्ण/कटाक्षपूर्ण मानव-जीवन.रहस्य उभारती बेहतरीन मानवेतर लघुकथा सृजन हेतु सादर हार्दिक बधाइयां  और यूं हमें मार्गदर्शित करने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह  साहिब।

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