For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख्वाब कोई तो मचलना चाहिए

मापनी - 2122 2122 2122 212


जिन्दगी में ख्वाब कोई तो मचलना चाहिए

गर लगी ठोकर तो’ क्या, फिर से सँभलना चाहिए


सीखना ही जिन्दगी है उम्र का बंधन कहाँ

लोग बदलें या न बदलें, खुद बदलना चाहिए


कैद होकर घर में’ बैठोगे भला तुम कब तलक

शाम को इक बार तो घर से निकलना चाहिए


और कितने दर्द देगी जिन्दगी हमको यहाँ

ये अँधेरी रात गम की आज ढलना चाहिए


लात घूँसे छोड़ दो सब, बैठकर बातें करो  

बातों’-बातों में न हरदम ही उछलना चाहिए


आये’ जब भी आँच अपने मान और सम्मान पर

तब हमारा रक्त थोड़ा तो उबलना चाहिए


पीठ पीछे वार पर रखिये सदा तीखी नजर

दाल दुश्मन की यहाँ बिलकुल न गलना चाहिए


मोड़ दो यदि रुख हवा का, तब तो’ कोई बात है

साथ सबके भीड़ बन यूँ ही न चलना चाहिए


कुछ तो’ कम हों आदमी से आदमी की दूरियाँ

बर्फ रिश्तों पर जमी है, अब पिघलना चाहिए

"मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 840

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 19, 2018 at 4:33pm

वाह वाह ग़ज़ल अच्छी लगी ..    बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 19, 2018 at 6:23am

आ. भाई बसंत जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 18, 2018 at 10:05pm

जनाब बसंत कुमार साहिब , अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 5:41pm

 आदरणीया  Sushil Sarna जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 5:40pm

आदरणीया Neelam Upadhyaya जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 5:40pm

आदरणीय  TEJ VEER SINGH जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by babitagupta on July 17, 2018 at 6:16pm

जिंदगी जीने का पूरा फलसफा ब्यान करती बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2018 at 5:26pm

आदरणीय दिलकश अशआर की इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 17, 2018 at 10:56am

आदरणीय बसंत कुमार जी, बढ़िया पेशकश   बधाई स्वीकार करें

Comment by TEJ VEER SINGH on July 16, 2018 at 10:24pm

हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।

आये’ जब भी आँच अपने मान और सम्मान पर

तब हमारा रक्त थोड़ा तो उबलना चाहिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
11 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मेरे …"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब, हर शेर पे दाद क़ुबूल…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल का प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब हुई सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"2122 1122 1122 22 घर से निकलूँ कहीं बाहर जो है दुनिया देखूँ वक़्त के साथ ही ख़ुद को भी मैं चलता…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई । बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"अपने भारत के लिए मैं यही सपना देखूँ फिर इसे बनते हुए सोने की चिड़िया देखूँ मेरी हसरत है, हो हर आँख…"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहता हूँ तुझसे जन्मों का नाता है ओबीओ
"गज़ब धर्म निभाया, आप ने,आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर,  धामी जी, अनेकानेक बधाईंया !"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"बहुत सुन्दर शास्त्रीय गीत का सृजन हुआ,  भाई,  नाथ सोनाक्ष, बधाई,  आपको, श्री  !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"मेरे  महबूब  कभी  वो  हसीं  चहरा  देखूँ   दिन भी बन जाए…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service