For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पार्टियां चलती रहीं (लघुकथा)

"पलट! तेरा ध्यान किधर है? शराब, कबाब और हैदराबादी बिरयानी इधर है!" अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाती पार्टी की दी हुई पार्टी में सदस्यों में से एक ने टीवी देख रहे दूसरे साथी से कहा।


"जुमले कैच कर रहा होगा, जुमलेदार भाषण या कथा रचने के लिए!" दूसरा बोला।


"कथा, कविता कह ले या भाषण, लघुकथा! किसी पर तेरी कलम कोई कमाल नहीं कर पायेगी! सभी मतदाता सम्मोहित कर लिये गए हैं अपनी लहर में, ख़ास तौर से महिलायें और स्टूडेंट्स!" कुछ पैग नमकीन के बाद हलक में गुटकने के बाद पहला झूमते हुए मशहूर फ़िल्मी गानों पर तुकबंदी कर इतराने लगा - "जहां चार साल मिल जायें, पार्टी हो गुलज़ार! जहां चार यार ..... ! एक दूसरे से करते हैं प्यार हम! एक दूसरे को बेकरार हैं हम! .... अगले चुनावों के लिए तैयार हैं हम!"


"गा के नहीं... ऐसे बोल रे ... 'हमारे सुभाषण ही हमारा सुशासन है'..!" टीवी देखते हुए तीसरे साथी ने फास्टफूड चबाते हुए उससे कहा।


"ऐसे तो बस तू ही फैंक सकता है, चतुर नेताजी!... तेरा भविष्य भी उज्जवल है!" पहले ने डकार मारकर कहा।


"अबे, तेरा नशा कब उतरेगा! होश में आ! 'गठबंधन-तकनीक' का आक्रमण शुरू हो गया है! मंज़िलें नहीं हैं आसां!" कोई परिचित होटल के रिसेप्शन काउंटर से चिल्लाया।


चौंक कर उस नशेणी के नज़दीक़ बैठे साथी ने जवाब दिया - "उसका स्वाद तो हम भी चख चुके हैं! पर इस बार फिर हम भारी पड़ेंगे 'सम्मोहन कला वाले हाइ-टेक मनोवैज्ञानिक-विज्ञापन-तकनीकों' से, समझे? तुझे क्या, तू अपना काम कर और बिल-पे-बिल बना!"


"सामाजिक बुराइयों और ख़ामियों को हथियार बना कर कब तक लूटेंगे देश को!" बड़बड़ाते हुए काउंटर पर वह परिचित आदमी बिल तैयार करने लगा।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 594

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 15, 2018 at 10:37am

मेरी इस रचना के मर्म तक जाकर अपनी विचार सांझा करते हुए अनुमोदन और मेरी हौसला/ह़िम्मत अफ़ज़ाई करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब, जनाब महेंद्र कुमार साहिब और जनाब विजय निकोरे साहिब। आप सभी को ई़द-उल-फ़ित्र की हार्दिक बधाइयां और शुमकामनायें!

Comment by vijay nikore on June 5, 2018 at 7:40am

आपकी लघुकथा सामयिक है... इस तरह का वार्तालाप आप ही की कलम लिख सकती है। हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Mahendra Kumar on June 2, 2018 at 8:34pm

देश की मौजूदा राजनीति पर अच्छा तंज है आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. इस बढ़िया लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on June 1, 2018 at 10:31am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                         (1) सासयिकता का पुट ।

                                          (2) वर्तमान राजनीति पर फिल्मी पैरोडी के साथ कटाक्ष ।

                                          (3) दिशाहीन युवाओं की ओर इशारा ।

                                           (4)  सत्ताधारी पार्टी के प्रति बदलाव का संकेत ।

                                                                   हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर

1222-1222-1222-1222जो आई शब, जरा सी देर को ही क्या गया सूरज।अंधेरे भी मुनादी कर रहें घबरा गया…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service