For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी ज़मीन मेरा आसमाँ बदल डालो (ग़ज़ल 'राज')

१२१२  ११२२  १२१२  २२

तुम अपने दस्त-ए-हुनर से समां बदल डालो 
अगर पसंद नहीं है जहाँ बदल डालो 

गुबार दिल में दबाने से फ़ायदा क्या है 
सुकून गर  न मिले आशियाँ बदल डालो

उदास गुल हैं जहाँ तितलियों नहीं जाती 
तुम अपने प्यार से वो गुलसितां बदल डालो

जहाँ तलक न पहुँचती ज़िया न बादे सबा 
तो फ़िर ये काम करो वो मकां बदल डालो

भरोसा है तुम्हें तीर-ए-नज़र पे तो जानाँ  
अगर कमाँ है मुख़ालिफ़ कमाँ बदल डालो 

अभी अभी तो हुआ है जवाँ मेरा गुलशन 
ख़जां का रुख़ जो इधर हो ख़जां बदल डालो

मेरे वजूद से तुमको अगर महब्ब्त है 
मेरी ज़मीन मेरा आसमाँ बदल डालो
राजेश कुमारी ' राज '

Views: 1078

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2018 at 10:38pm

आद० तेजवीर सिंह जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2018 at 10:37pm

आदरणीया नीलम जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 11, 2018 at 12:59pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बेहतरीन गज़ल।

गुबार दिल में दबाने से फ़ायदा क्या है 
सुकून गर  न मिले आशियाँ बदल डालो

Comment by Neelam Upadhyaya on May 11, 2018 at 12:27pm

आदरणीय  राजेश  कुमारी जी, नमस्कार।  बहुत ही उम्दा गजल हुई है।  मुबारकबाद कबूल करें। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2018 at 11:37am

आदरणीय समर भाई जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका .

Comment by Samar kabeer on May 11, 2018 at 11:29am

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 11, 2018 at 10:41am

मोहतरम जनाब तस्दीक साहब आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 10, 2018 at 8:37pm

मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा , बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें । सही शब्द "खिज़ां "है देखियेगा ।  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 10, 2018 at 6:57pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से शुक्रगुज़ार हूँ 

Comment by Mohammed Arif on May 10, 2018 at 6:52pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,

                                     अच्छे सरल-सरस बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति देने में सफल ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।उत्तम गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।"
58 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"याद रख रेत के दरिया को रवानी लिखनाभूलता खूब है अधरों को तू पानी लिखना।१।*छीन लेता है …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, आप अपने विचार सुझाव व शिकायत के अंतर्गत रख सकते हैं। सुझाव व शिकायत हेतु पृथक…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आपको।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, तरही मिसरे पर अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, तरही मिसरे पर अति सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"ग़ज़ल - 2122 1122 1122 22 काम मुश्किल है जवानी की कहानी लिखनाइस बुढ़ापे में मुलाकात सुहानी लिखना-पी…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतना काफ़ी भी नहीं सिर्फ़ कहानी लिखना तुम तो किरदार सभी के भी म'आनी लिखना लिख रहे जो हो तो हर…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"२१२२ ११२२ ११२२ २२ बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी…"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं इस मंच पर मौजूद सभी गुनीजनों से गुज़ारिश करता हूँ कि ग़ज़ल के उस्ताद आदरणीय समर गुरु जी को सह…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 1122 1122 22 इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखनाएक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"भूलता ही नहीं वो मेरी कहानी लिखना।  मेरे हिस्से में कोई पीर पुरानी लिखना। वो तो गाथा भी लिखें…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service