For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- फँस गया जाल में शिकारी खुद

बह्र- फाइलातुन मफाइलुन फैलुन

2122 1212 22

मार कर पेट में कटारी खुद।
मर गया एक दिन मदारी खुद।

अपने कर्मों से वो जुआरी खुद।
हो न जाये कभी भिखारी खुद।

पड़ गये दाँव पेंच सब उल्टे,
फँस गया जाल में शिकारी खुद।

आगये दिन हुजूर अब अच्छे
दान देने लगे भिखारी खुद।

हैं नशामुक्ति के अलम्बरदार,
पर चलाते हैं वो कलारी खुद।

खानदानी हुनर है बच्चों में,
सीख लेते हैं दस्तकारी खुद।

कर्ज बेटा चुका न पाया तो,
वो चुकाने लगे उधारी खुद।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 9:48pm

आ0 सर लाजवाब प्रस्तुति हेतु बधाई 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on April 8, 2018 at 5:28pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपको ग़ज़ल पसन्द आई एवं उत्साह वर्धन किया पुन: धन्यवाद।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on April 8, 2018 at 5:26pm

आदर्णीय  श्यामनारायण वर्मा जी गज़ल पसन्दगी केलिये सादर आभार

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on April 8, 2018 at 5:25pm

आदरणीय हर्ष महाजन जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पसन्द करने एवं उत्साह वर्धन के लिये।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 8, 2018 at 1:43pm

वाह बढ़िया सरस ग़ज़ल कही है आदरणीय..सादर

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on April 7, 2018 at 8:10pm

आदर्णीय नीलेश जी ऐसा कभी कभी हो जाता है। मुझसे भी होता है। मुझसे बह्र में भी गल्ती हो जाती है और ओपेन बुक्स आन लाइन में विद्वान सदस्य त्रुटि दूर कर देते हैं। आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Shyam Narain Verma on April 7, 2018 at 11:34am
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by Harash Mahajan on April 7, 2018 at 11:11am

वाह !!

आदरणीय राम अवध जी, अच्छी गजल के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 7, 2018 at 6:58am

आ. राम अवध जी,
आप की तक्तीअ बिलकुल ठीक  है ..मिसरा भी बहर में है..मेरे समझने में कोई भूल हुई इ..
मैं क्षमा सहित अपना कमेंट वापस लेता हूँ..
सादर 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on April 7, 2018 at 5:05am

आदर्णीया नीलम उपाध्याय जी ग़ज़ल पसन्दगी के लिये सादर आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपने, आदरणीय, मेरे उपर्युक्त कहे को देखा तो है, किंतु पूरी तरह से पढ़ा नहीं है। आप उसे धारे-धीरे…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"बूढ़े न होने दें, बुजुर्ग भले ही हो जाएं। 😂"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. सौरभ सर,अजय जी ने उर्दू शब्दों की बात की थी इसीलिए मैंने उर्दू की बात कही.मैं जितना आग्रही उर्दू…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी,    ऐसी कोई विवशता उर्दू शब्दों को लेकर हिंदी के साथ ही क्यों है ? उर्दू…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"अनुज ब्रिजेश , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका  हार्दिक  आभार "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service