For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पानी-पानी ...

ख़ून
ख़ून से ही
कतराता है
मगर
पानी से मिल जाता है
इसीलिये
रिश्ता
ख़ून का
हो जाता है
पानी-पानी
ख़ून के सामने

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 3, 2018 at 8:27pm

आदरणीया  Neelam Upadhyaya जी सृजन अपनी वाह से प्रशंसित करने का दिल से आभार। 

Comment by Neelam Upadhyaya on April 3, 2018 at 4:28pm

आदरणीय सुशील जी,  बहुत ही प्रभावशाली रचना । प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on April 3, 2018 at 4:00pm

आदरणीय अजय \तिवारी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on April 3, 2018 at 4:00pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब .... प्रस्तुति के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on April 3, 2018 at 4:00pm

आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब , आदाब। ... सृजन की काव्यात्मक प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on April 3, 2018 at 3:59pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन अपनी वाह से प्रशंसित करने का दिल से आभार।

Comment by Ajay Tiwari on April 1, 2018 at 5:42pm

आदरणीय सुशील जी,  इस प्रभावशाली काव्य-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.

इसका सघन नियंत्रित शिल्प बहुत अच्छा लगा.

सादर 

Comment by Samar kabeer on March 31, 2018 at 5:57pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,कम शब्दों में बहुत उम्दा कविता,बहुत ख़ूब, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 31, 2018 at 9:01am

बहुत ही महत्वपूर्ण व सारगर्भित क्षणिका सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सुशील सरना जी।

कुछ मेरी पंक्तियां यूं ही :

जब

ख़ून

काम आता है

अपने या

अपने जैसे ख़ून के

ख़ून

कर देता है

दुश्मनी, नाइत्तेफाकी का।

--------------------------------

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 30, 2018 at 6:47pm

वाह! सुंदर और सार्थक रचना हुई है आदरणीय सुशिल सरना जी | हार्दिक बधाई स्वीकारें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service