For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिप्सा के परित्याग से खिलता आत्म प्रसून

दोहा/ ग़ज़ल

चाहत के तूफान में, उजड़े चैन सुकून
चिंता में जल कर हुआ, भस्म खुदी का खून

गीता में लिक्खा गया, राहत का मजमून
लिप्सा के परित्याग से, खिलता आत्म-प्रसून

संग्रह का जो रोग है, बढ़ता प्रतिपल दून
लोभ अग्नि में हे! मनुज, यूँ खुद को मत भून

सुख का एक उपाय बस, इच्छा करिए न्यून
बाकी मर्ज़ी आपकी, खटिए चारो जून

मनस वेदना के लिए, यह बढ़िया माजून
सो पंकज नें कर लिया, लेखन एक जुनून

मौलिक अप्रकाशित

Views: 833

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 5, 2018 at 5:04pm

आदरणीय विजय निकोर जी दोहे आपको पसंद आए, बहुत बहुत आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 5, 2018 at 5:03pm
आदरणीय महेंद्र जी सादर आभार
Comment by vijay nikore on January 18, 2018 at 8:40am

दोहे अच्छे लगे। हार्दिक बधाई।

Comment by Mahendra Kumar on January 17, 2018 at 7:51pm

अच्छा प्रयोग है आ. पंकज जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Samar kabeer on January 17, 2018 at 11:20am

जी,ठीक है ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 17, 2018 at 11:05am
आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, यह एक नया प्रयास है, ग़ज़ल नाम देना सही नहीं होगा, इसलिए इसे दोहा-ग़ज़ल नाम दिया है, मैं चाह रहा था इसे- दोजल या द्विजल कहना लेकिन शब्द का वास्तविक अर्थ क्या निकलेगा, इस बात का पूरा अंदाज़ा नहीं होने के कारण नहीं लिखा।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 17, 2018 at 11:01am
आदरणीय अजय सर आपके सुझाव सर्वथा उपयोगी होते हैं, स्नेह यथावत बनाएं रखें, सादर प्रणाम
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 17, 2018 at 11:01am
आदरणीय आरिफ सर सादर अभिवादन और हार्दिक आभार
Comment by Samar kabeer on January 17, 2018 at 10:58am

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने ,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आपने इस प्रस्तुति को 'दोहा/ग़ज़ल' का शीर्षक क्यों दिया,जबकि ये ख़ालिस दोहे हैं,और ग़ज़ल में सिर्फ़ मतले नहीं होते,शैर भी होते हैं जो इसमें नहीं हैं ।

Comment by Ajay Tiwari on January 16, 2018 at 5:45pm

आदरणीय पंकज जी, अच्छा प्रयोग है. हार्दिक बधाई.

मतले के मिसरों में रब्त कुछ कम है. आम तौर पर खुदी(अहं) के ख़त्म होने को चैन और सुकून का कारण माना जाता है चैन और सुकून के उजड़ने का कारण नहीं.

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service