For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मुकम्मल भला कौन है इस जहां में

बह्र- फऊलुन फऊलुन फऊलुन फऊलुन

ग़ज़ब की है शोखी और अठखेलियाँ हैं।
समन्दर की लहरों में क्या मस्तियाँ हैं।

महल से भी बढ़कर हैं घर अपने अच्छे,
भले घास की फूस की आशियाँ हैं।

मुकम्मल भला कौन है इस जहाँ में,
सभी में यहाँ कुछ न कुछ खामियाँ हैं।

ज़िहादी नहीं हैं ये आतंकवादी,
जिन्होंने उजाड़ी कई बस्तियाँ हैं।

ये नफरत अदावत ये खुरपेंच झगड़े,
सियासत में इन सबकी जड़ कुर्सियाँ हैं।

समन्दर के जुल्मों सितम से हैं टूटी,
किनारे पड़ी जो कई कश्तियाँ हैं।

ये कैसी तरक्की दिवाली के दिन भी,
अँधेरे में डूबी हुई झुग्गियाँ हैं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

--
Sent from Fast notepad

Views: 818

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 6, 2018 at 5:41pm

आदर्णीय अजय तिवारी जी आपके द्वारा दिये गये सुझाव के अनुसार मैं शेर में तब्दीली करदूँगा। बहुत बहुत आभार।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 6, 2018 at 5:39pm

आदर्णीय मोहम्मद आरिफ साहब ग़ज़ल पसन्दगी के लिये शुक्रिया

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 6, 2018 at 5:34pm

आदर्णीय श्री अफरोज साहब रदीफ ग़ज़ल की "हैं" होने से आपके सुझाये अनुसार आशियाँ है नहीं आयेगा। आपने टिप्पणी की और सुझाव दिया इसके लिये बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Afroz 'sahr' on January 6, 2018 at 4:45pm
जनाब राम अवध जी इस रचना पर बधाई स्वीकार करें।
मतले का ऊला मिसरा लय में नहीं है।दूसरे शेर को यूँ कहा जा सकता है।
" हैं महलों से बढ़कर के घर अपने कच्चे"
"कहां इनके जैसा कोई आशियां है"
"खामियां" को ख़ामियां, "ज़िहादी को जिहादी ," तरक्की" को तरक्क़ी करलें,,,,,,
Comment by Ajay Tiwari on January 6, 2018 at 2:39pm

आदरणीय राम अवध जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

'भले घास की फूस की आशियाँ हैं'  'आशियाँ'  स्त्रीलिंग नहीं है.

सादर

Comment by Mohammed Arif on January 6, 2018 at 1:59pm

महल से भी बढ़कर हैं घर अपने अच्छे,
भले घास की फूस की आशियाँ हैं। वाह! वाह! वाह! बहुत ही बढ़िया शे'र है । 

शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आदरणीय अवध बिहारी जी । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service