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है बड़ा अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए

2122 2122 2122 212
ढूढते हैं वो बहाना रूठ जाने के लिए ।।
है बहुत अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए ।।

इक तेरा मासूम चेहरा इक मेरी दीवानगी ।
रह गईं यादें फकत शायद मिटाने के लिए ।।

फिर वही क़ातिल निगाहें और अदायें आपकी।
याद आयी हैं हमारा दिल जलाने के लिए ।।

घर मेरा रोशन है अब भी आपके जाने के बाद ।
हैं चरागे ग़म यहाँ घर जगमगाने के लिए ।।

चैन से मैं सो रहा था कब्र में अपनी तो क्यों ।
तुम यहाँ भी आ गए मुझको सताने के लिए ।।

ये समंदर चल पड़ा लेने उसे आगोश में ।
उठ रहीं लहरें बहुत दरिया को पाने के लिए ।।

शक़ की बुनियादों पे कोई ताज कायम कब रहा ।
आशिकी होती कहाँ है आजमाने के लिए ।।

हो गया कुर्बान वो मजबूरियों के नाम पर ।
कौन जीना चाहता है मुँह छुपाने के लिए ।।

इश्क़ में तू डूब लेकिन याद रख इतना सबक़ ।
लोग मिलते हैं यहाँ ख़्वाहिश जताने के लिए ।।

इस तरह तपती हुई प्यासी जमीं को देखकर ।
आ रहे बादल यहाँ कुछ दिन बिताने के लिए ।।

बारिशों के दौर में अब हो गए चेहरे हरे ।
है किसी मधुमास का यौवन रिझाने के लिए ।।

नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अ प्रकाशित

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Comment by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2017 at 5:44pm

आ0 कबीर सर विशेष आभार । शेर को हटाता हूँ ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2017 at 4:14pm

हार्दिक बधाई । भाई समर जी की बात गौर करने लायक है ।

Comment by Samar kabeer on December 19, 2017 at 11:16pm

मफ़हूम एक होने का जब पता चल जाए तो बाद में कहने वाले शाइर को अपना शैर हटा लेना चाहिए,ये कोई दोष नहीं है,इसे तवारुद कहते हैं,यानी किसी के ख़याल से ख़याल का अंजाने में टकरा जाना,मेरी राय में आपको शैर हटा लेना चाहिए ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 10:27pm

 आदरणीय नवीनजी हार्दिक बधाई स्वीकारें गजल के लिए,इस पर हुई चर्चा भी बहुत कुछ सिखाती है..सादर

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 19, 2017 at 7:05pm

आ0 कबीर सर सादर नमन । सर मफ़हूम मिल तो रहा है । यह यदि दोष में आता है तो इसे हटा दू क्या । आपकी क्या राय है ।

Comment by Samar kabeer on December 19, 2017 at 2:32pm

"याँ"शब्द 'यहाँ'का मुख़फ़्फ़फ़ है, और बहस ये नहीं है कि कौन सा शब्द क्या है,जो शैर मैंने कोट किया है वो तक़रीबन 70 बरस पुराना है,और आपके शैर का भी यही मफ़हूम है जो इस शैर का है, इस पर ग़ौर कीजिये ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 18, 2017 at 10:33pm

आ0 ब्रजेश कुमार ब्रज साहब शुक्रिया ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 18, 2017 at 10:32pm

आ0 मो0 आरिफ साहब तहे दिल से आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 18, 2017 at 10:31pm

आ0 राम अवध साहब सादर आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 18, 2017 at 10:31pm

आ0 काली पद प्रसाद मण्डल साहब तहे दिल से आभार

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