For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आग ..

सहमी सहमी सांसें
बेआवाज़ आहटें
खामोशियों के लिबास में लिपटे
कुछ अनकहे शब्द
पल पल सिमटती ज़िदंगी
जवाबों को तरसते
बेहिसाब सवाल
शायद
यही सब था
इस हयाते सफ़र का अंजाम
लम्हे ज़िदंगी से अदावत कर बैठे
ख़्वाब
आग के साथ सुलगने लगे
अभी तो जीने की आग भी
न बुझ पायी थी
कि मौत की फसल
लहलहाने लगी
इक हुजूम था
मेरे शेष को
अवशेष में बदलने के लिए
नाज़ था जिस वज़ूद पर
वो ख़ाक हो जाएगा
आग के साथ मिलकर
आग हो जाएगा
बशर फिर भी न कुछ समझ पायेगा
मरघट में जलाकर
फिर जलने के लिए
दुनिया में चला जाएगा
कभी रिश्तों की आग जलाएगी
कभी पेट की आग में झुलस जाएगा
जलते जलते
अपने अंजाम पे पहुँच जायगा
दुनियावी आग से शायद
जीत भी जाए बशर
मगर
मरघट की आग से हार जाएगा
आग से मिलकर
अंज़ाम-ए-आग हो जाएगा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 453

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2017 at 4:10pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी सृजन के भावों को अपनी मधुर प्रशंसा से सुशोभित करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2017 at 4:10pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब , प्रस्तुति आपकी मधुर प्रशंसा की दिल से आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2017 at 4:09pm

आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Mahendra Kumar on December 18, 2017 at 9:20pm

इस अच्छी कविता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. सुशील सरना जी. सादर.

Comment by Samar kabeer on December 18, 2017 at 1:56pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 18, 2017 at 9:27am

आदरणीय सुशील सरना जी ,नमन , हयाते सफ़र का  बहुत सुंदर , सटीक  चित्रण किया आपने "

अपने अंजाम पे पहुँच जायगा 
दुनियावी आग से शायद 
जीत भी जाए बशर 
मगर 
मरघट की आग से हार जाएगा 
आग से मिलकर 
अंज़ाम-ए-आग हो जाएगा" मुबारकबाद कुबूल करें 

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2017 at 2:52pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब , सादर प्रणाम , प्रस्तुति में निहित भावों को अपना आशीर्वाद देने का दिल से आभार।

Comment by vijay nikore on December 16, 2017 at 5:46pm

//सहमी सहमी सांसें 
बेआवाज़ आहटें 
खामोशियों के लिबास में लिपटे 
कुछ अनकहे शब्द 
पल पल सिमटती ज़िदंगी 
जवाबों को तरसते 
बेहिसाब सवाल 
शायद 
यही सब था 
इस हयाते सफ़र का अंजाम //........

बहुत ही दिलकश शब्द-चित्र .... वाह !  आपकी रचना सशक्त है। हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service