For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कड़वाहट ....

जाने कैसे
मैंने जीवन की
सारी कड़वाहट पी ली
धूप की
तपती नदी पी ली
मुस्कुराहटों के पैबन्दों से झांकती
जिस्मों की नंगी सच्चाई पी ली
उल्फ़त की ढलानों पर
नमक के दरिया की
हर बूँद पी ली
रात की सिसकन पी ली
चाँद की उलझन पी ली
ख़्वाबों की कतरन पी ली
आगोश के लम्हों की
हर फिसलन पी ली
जानते हो
क्यूँ
शा.... य... द
मैं
तू.... म्हा ... रे
इ.... .श्......क
की
बी.... मा.... र
हो ...गयी ... थी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 427

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 20, 2017 at 7:40pm

आदरणीय  सतविन्द्र कुमार  जी,  सर प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 9:32pm

इश्क की बीमार .. वाह्ह्ह वाह्ह्ह ,बहुत बधाई आदरणीय 

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2017 at 4:11pm

आदरणीय  Mohammed Arif साहिब, आदाब ... सर प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Mohammed Arif on December 18, 2017 at 7:50pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                         बहुत ही सुंदर भावों का गुलिस्ता सजाया आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on December 18, 2017 at 5:53pm
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सर प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। त्रुटि की तरफ ध्यान आकर्षित करने का हार्दिक आभार। में इसे अभी एडिट कर देता हूँ। थैंक्स सर
Comment by Samar kabeer on December 18, 2017 at 5:26pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बढ़िया कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'उल्फ़त जे ढलानों पर'---"उल्फ़त की ढलानों पर"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
1 minute ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
20 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
22 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
28 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
40 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
42 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
47 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
52 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
54 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
59 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service