For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देशभक्त तो पैदा कर

दलगत राजनीति से दूर होना चाहिए,
देशहित करने का सुरूर होना चाहिए,
बेशक विचारों में भेद हो सकता है,
पर राष्ट्रहित हो तो गुरूर होना चाहिए,
सत्ता से प्रेम और विपक्ष से गिला नहीं,
किसी दल से भी मैं कभी मिला नहीं,
पर प्रबलता से देशहित में कहता हूँ,
जो देश का है, मैं उसकी पार्टी में रहता हूँ,
और जो भी विपक्षी हो, उससे कहता हूँ,
मतदाता से नहीं, देश से वायदा कर,
मैं सिर्फ तुझे ही सत्ता में चुनूँगा पहले,
पहले अपनी पार्टी में देशभक्त तो पैदा कर।।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 4, 2017 at 12:18pm
आदरणीय मण्डल जी, आपका कोटिशः आभार, आपके सुझावों का मैं आगे अवश्य ही ध्यान रखूंगा।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 4, 2017 at 12:09pm

आ मनोज कुमार जी कविता में देश भक्ति कूट कूट कर भरी है | बहुत  अच्छी है | यह और अच्छी होती अगर कविता एक ही शैली में होती , जैसे मुक्तक , द्विपदी तुकान्त  ,अतुकांत या फिर कोई और | सुन्दर भाव के लिए बधाई  आपको 
 

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 3, 2017 at 1:11pm

आदरणीय दादाजी समर कबीर जी, सादर प्रणाम स्वीकार करें। मैं निरंतर आपके मार्गदर्शन में चलने का प्रयास करता हूं। इसी तरह आशीर्वाद तथा स्नेह बनाए रखिएगा। अन्य रचनाकारों की रचनाओं को भी देखकर सीखने का प्रयास करता हूं। मार्गदर्शन हेतु सादर आभार।

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 3, 2017 at 1:06pm

आदरणीय उस्मानी जी सादर नमस्कार। आपके मार्गदर्शन से ही मुझे आगे बढ़ने क प्रेरणा  मिलेगी, मै अवश्य ही सुधार करने का प्रयास करूंगा।

Comment by Samar kabeer on December 2, 2017 at 9:42pm
जनाब मनोज कुमार जी आदाब,कविता का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
पटल पर अपनी रचनाएँ पोस्ट करने से ही काम नहीं चलेगा,मंच पर पोस्ट की गई रचनाओं पर भी आपकी प्रतिक्रया आनी चाहिए,मंच के कई लेखक अतुकान्त कविताएं लिखते हैं,उनकी कविताओं को अवश्य पढ़ें इससे आपको कविता की शैली क्या होती है,ये सीखने को मिलेगा,और भी कई लाभ होंगे,उम्मीद है मेरी बातों का सही अर्थ लेंगे ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 2, 2017 at 9:30pm
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई आदरणीय मनोज कुमार श्रीवास्तव जी। जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब की टिप्पणी के अनुसार संबंधित विधा के विधि-विधान हमें इसी मंच पर उपलब्ध फाइल्स/समूह से पढ़ कर अभ्यास करते रहना चाहिए गुरूजन, सुधीजन के मार्गदर्शन में। हम सभी भी ऐसा करते हैं।
Comment by Manoj kumar shrivastava on December 2, 2017 at 7:09pm
सादर आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, मैंने छंद में कभी भी रचना नहीं की, हमेशा स्वतंत्र रचना की है इसलिए गड़बड़ी हुई होगी, सुधार का प्रयास करूंगा। सादर आभार।
Comment by Mohammed Arif on December 2, 2017 at 12:48pm
आदरणीय मनोज जी आदाब,
देशहित का आग्रह करती बेहतरीन कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
शुरू की चार पंक्तियाँ एक अच्छे मुक्तक का प्रतिनिधित्व कर रही है मगर बाद की पंक्तियों में आपने सारी गड़बड़ करती । थोड़ा समय देकर बेहतरीन मुक्तक बन सकते हैं और रचना प्रभावी भी बन जाएगी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
8 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
21 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
39 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
52 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service