For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- रातें हुईं पहाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

बह्र- मफऊल फाइलात मफाईल फाइलुन

रातें हुईं पहाड़ बताओ मैं क्या करूँ।
वो दिल गई उजाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

इज़हारे इश्क जो किया तो उसने गाल पर,
मारे हैं ताड़ ताड़ बताओ मैं क्या करूँ।

पल्लू से उसके फिर से मैं बँध जाऊँ दोस्तो,
कोई नहीं जुगाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

क्या दिन थे वो हँसीन कभी छत पे राह में
होती थी छेड़छाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

मेरे खिलाफ उसने कटा दी एफआईआर,
जाना है अब तिहाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

तन्हा हूँ और सिर्फ है तन्हाई मेरे साथ,
गायब है भीड़भाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

उस बेवफा की याद में रोता हूँ रात दिन,
अब मारकर दहाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

आया खराब वक्त तो कमबख्त वक्त ने,
मुझको दिया पछाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

मैंने तो तेरे इश्क में सब कुछ लुटा दिया,
गिरवीं है माँस हाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

हड़तालियों ने खौफ से अपने ही आप जब,
तम्बू लिया उखाड़ बताओ मैं क्या करूँ

आया जो रात देर से बीवी ने क्लास ली,
जमकर पड़ी लताड़ बताओ मैं क्या करूँ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1301

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on December 7, 2017 at 1:28pm

आदरणीय राम अवध जी,

देवनागरी लिपि की एक बहुत महत्वपूर्ण विशिष्टता ये है कि इसमें जैसा लिखा जाता है वैसा ही बोला जाता है. इस में लिखित(मक्तूबी) और उच्चारित (मल्फूजी) में कोई भेद नहीं होता. इस बात को ध्यान में रखें तो यह स्पष्ट है कि 'ए' ध्वनि चाहे किसी भी शब्द में हो उसका उच्चारण एक ही जैसा होगा और उसका छन्दशास्त्रिय मूल्य(वजन, मात्रा भार) एक ही जैसा होगा. 

सादर  

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 7, 2017 at 7:13am

आदरणीय अजय तिवारी जी,

कृपया ये भी स्पष्ट करने का कष्ट करें कि शब्द एक, एकल , एकता,एतद और एफआईआर में  अक्षर ए का उच्चारण एक जैसा होगा या कुछ फर्क होगा। सादर

Comment by Ajay Tiwari on December 6, 2017 at 3:40pm

आदरणीय राम अवध जी,

'एक' और 'इक' दोनों का  प्रयोग एक परम्परा के तहत होता रहा है इसका मतलब ये नहीं है कि शब्द का पहला अक्षर गिराकर पढ़ा जा सकता है. आईना और आइना, राहगुज़र और रहगुज़र परंपरा से दोनों शब्द रूप प्रचलित हैं इसका मतलब ये नहीं है कि शब्द के बीच के अक्षर को गिरा कर पढ़ने का नियम है. अलिफ़ वस्ल से एफाई शब्द हासिल होता है. ए और फाई को अलग कर के 121 के वज़न पर रखना गलत है वो चाहे उर्दू में हो या हिंदी में. अगर गलत उच्चारण को सही मान के तक्ती करनी हो तो बात अलग है. लेकिन 'एफ' को अलग-अलग करके पढ़ना उचित नहीं है.

सादर 

 

Comment by Samar kabeer on December 6, 2017 at 2:38pm

जनाब राम अवध जी,मेरे ख़याल से मिसरा बदलना उचित होगा,ये आपके लिए मुश्किल नहीं ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 6, 2017 at 12:50pm

आदरणीय तस्दीक अहमद साहब मैने अपने ज्ञान के अनुसार तख्ती की थी और पढ़ने पर कहीं भी लय भंग नहीं होता है। लेकिन विद्वानों ने ऐतराज किया इसलिए मैंने उनकी बात मान ली क्योंकि मैने पहले ही लिख दिया कि मैं कोई अरूजी नहीं हूँ। अब जैसे विद्वान लोग ही चर्चा कर निर्णय लें क्या गलत है क्या सही है। सादर। 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 6, 2017 at 8:43am

जनाब राम अवध साहिब ,जैसा कि अजय साहिब ने कहा है कि पहले अक्षर को गिरा कर पढ़ना मुमकिन नहीं तो फिर शब्द "एक"को "इक" कैसे कर लेते हैं । मैं ने तो ऐसा नियम नहीं पढ़ा,उर्दू की साइट पर "ए फ़ा ई "की तकती को 121 यानी ए और ई  को गिरा कर  पढ़ा गया है ,अब कोई इसे तस्लीम करे या न करे ---सादर

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 6, 2017 at 7:26am

आपकी बात से सहमत हूँ। आपने कारण सहित.स्पष्ट किया आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Ajay Tiwari on December 5, 2017 at 11:38pm

आदरणीय राम अवध जी,

अलिफ़ वस्ल से एफ + आई = एफाई होगा जिसका वज़न 222 या 221 हो सकता लेकिन 121 नहीं हो सकता जैसा की आपने या आदरणीय तस्दीक साहब ने लिखा है. 'ए' एफाई शब्द का पहला अक्षर है जिसे गिरा कर पढ़ना मुमकिन नहीं है.

सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 5, 2017 at 7:27pm

जनाब राम अवध साहिब ,अच्छी मज़ाहिया ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । मेरे हिसाब से शेर5 का उला मिसरा बह्र में है ।

(उसने  मेरे खिलाफ  कटा दी  एफ आई आर)(मफ़ऊल-फ़ाइलात-मफ़ाईल-फ़ाइलात)(उसने 22-मेरे12- खिलाफ121- कटा दी 122- एफ आइ 121--आर 21)

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 5, 2017 at 4:29pm

आदरणीय अफरोज साहब मैं कोई अरूजी नहीं हूँ। मैं यह भी मानता हूँ कि जितना आप को ज्ञान है उतना मुझे नहीं । मैने अपने अल्प ज्ञान के अनुसार तख्ती की है अगर मुझसे कहीं चूक हुई है तो अवश्य बतायें जिससे मैं अपनी गल्ती ठीक कर सकूँ और भविष्य में गल्ती से बचूँ। सादर
2 2 1 2 1 2 1 1221. 212
मे रे खि लाफउसने कटादीए फआइआर
मफ ऊल फाइलात। मफाईल। फाइलुन
फ+ आ = फा अलिफ वस्ल के नियम से फा ह जायेगा। इस प्रकार फआइआर की तख्ती फाइलुन होगी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service