For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन में आत्मा में आॅंखों में,

मीठी-मीठी बातों में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
स्नेह में ममत्व में भावनाओं में,
मूल्यों में सम्मान में दुआओं में,
हर क्षेत्र हर दिशाओं में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
वादों में इरादों पनाह में,
विश्वास में परवाह में,
वांछितों की चाह में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
आवाज में अंदाज में,
प्रजा में सरताज में,
कल में आज में,
हर रूप में हर राज में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
सुख दुख में त्यौहारों में,
एक में हजारों में,
मौन में इशारों  में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
समीप में दूरी में,
बलात में मजबूरी में,
शान में जी हुजूरी में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
जमीन पर ऊॅंचाई में,
भीड़ में तन्हाई में,
रोजी-रोटी की कमाई में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
हाट में बाजार में,
मेले में त्यौहार में,
पवित्रता की आड़ में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
नेतृत्व में अभिनय में,
सहयोग में संबंधों में,
नेत्रधारित अंधों में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
सड़कों में पगडंडियों में,
मैदानों में,
हर जगह हर पायदानों में,
चरित्र गिर रहा है,
मत गिरने दो।
रक्तों में भक्तों में,
सशक्त और अशक्तों में,
रंगों में रिस्तों में,
सतत और किस्तों में,
मेरी आत्मा का चित्र,
इन दायरों में घिर रहा है,
मेरा भी चरित्र गिर रहा है,

प्रयास है कि
मत गिरने दूं।

मौलिक व अप्रकाशित
,

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 23, 2017 at 9:54pm

आदरणीय श्रीवास्तव जी आपका कोटिशः आभार, आपका स्नेह इसी तरह बना रहे, यही कामना करता हूं।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 23, 2017 at 8:13pm

बहुत बढ़िया  आआ०

Comment by Manoj kumar shrivastava on November 21, 2017 at 7:15pm
आदरणीय शुक्ला जी आपका कोटिशः आभार।
Comment by Manoj kumar shrivastava on November 21, 2017 at 7:14pm
आदरणीय मोहित मिश्रा जी आभार स्वीकार करें।
Comment by Manoj kumar shrivastava on November 21, 2017 at 7:13pm
आदरणीय बृजेश जी सादर आभार।
Comment by Manoj kumar shrivastava on November 21, 2017 at 7:13pm
आदरणीय कुशक्षत्रप जी सादर आभार स्वीकार करें। सतत मार्गदर्शन की अपेक्षा करता हूँ।
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 21, 2017 at 6:22pm

बहुत सुंदर और सार्थक भ्रमर ५

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 21, 2017 at 1:06pm
बहुत ही बढ़िया रचना..बधाई
Comment by Manoj kumar shrivastava on November 20, 2017 at 10:03pm

आदरणीय कश्यप जी सादर अभिवादन! आपके सतत मागर्गदर्शन से सुधार अवश्य संभव है, आपका स्नेह बना रहे
पुनः धन्यवाद स्वीकार कीजिएगा।

Comment by नाथ सोनांचली on November 20, 2017 at 9:53pm
आद0 मनोज जी सादर अभिवादन, रचना में आप शब्दो की मितव्ययिता लाईये, और शब्दों के दुहराव से बचिए, भावों को बांधने के लिए बहुत प्रसार पाठक को उबाऊपन बना देता है। आपका प्रयास उत्तम है। आपके लेखनी में धार है। बधाई देता हूँ इस सृजन पर। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
5 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
29 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service