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वही वंशज है सूरज का - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

1222 1222 1222 1222

न जीवन राख कर लेना किसी की डाह में यारो
हमेशा सुख सभी का हो तुम्हारी चाह में यारो।1।

विचारों की गहनता हो न हो व्यवहार उथला ये
सुना मोती ही मिलते हैं समुद की थाह में यारो ।2।

वही वंशज है सूरज का बुजुर्गों ने कहा है सच
जलाए दीप जिसने भी तिमिर की राह में यारो ।3।

किसी को देके पीड़ा तुम न उसकी आह ले लेना
न जाने कैसी ज्वाला हो किसी की आह में यारो।4।

गगन के स्वप्न तो देखो धरा लेकिन न त्यागो तुम
हवा में उड़ना मत सीखो कि झूठी वाह में यारो ।5।

रिवाजों में है पतझड़ से तो पीड़ा ही मिला करती
दखल होने न दो गम का कभी मधुमाह में यारो।6।

मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:47pm
आ.भाई नवीन जी, इस अपार स्नेह के लिए आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:44pm
आ.भाई मो. आरिफ जी, अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:40pm
आ. भाई सलीम रजा जी, प्रशंसा के लिए आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:19pm
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रशंसा और बेहतरीन सलाह के लिए आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:17pm
आ. भाई समर जी,अभिवादन। स्नह व प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:15pm
आ.भाई आशुतोष जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2017 at 8:12am
वाह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत खूब ग़ज़ल हुई ।
Comment by Mohammed Arif on September 7, 2017 at 7:46am
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 6, 2017 at 8:56pm
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्दर गज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । तस्दीक़ साहिब के कहे पर अमल जरूर कर लें.
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 6, 2017 at 6:42pm
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्दर गज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । आखरी शेर के सानी मिसरे में सही उर्दू का शब्द दख्ल है दख़ल नहीं ,इसलिए उस मिसरे को यूं कर सकते हैं
न ग़म का दख्ल होने दो कभी मधुमाह में यारो ।

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